पटना : पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। जबसे उन्होंने एनडीए छोड़ महागठबंधन का दामन थामा है, उनकी पार्टी के नेता एक—एक कर उनसे दूरी बनाते जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अब उपेंद्र कुशवाहा किसी भी गठबंधन में अपनी पार्टी के लिए कम से कम तीन सीट भी कैसे डिमांड कर सकते हैं? इसी क्रम में ताजा खबर यह आई कि कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव क्रांति प्रकाश ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
पार्टी सुप्रीमो को सौंपे गये इस्तीफा पत्र में क्रांति प्रकाश ने आरोप लगाया कि पार्टी अपने मौलिक सिद्धांतों से भटक गयी है। पार्टी ने भ्रष्ट्राचार में लिफ्त आरजेडी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर जनता के साथ एक तरह से धोखाधड़ी का काम किया है। यह जन अपेक्षा के विरुद्ध है और इसे न्यायसंगत कभी नहीं कहा जा सकता।
जैविक खेती अभियान के संस्थापक कहे जाने वाले क्रांति प्रकाश ने आगे कहा कि परिवारवादी और भ्रष्टाचारी लोग लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और समतामूलक समाज के दुश्मन होते हैं। उन्होंने कांग्रेस और आरजेडी को परिवारवाद और भ्रष्टाचार की गंगोत्री बताया।
उन्होंने अपनी परेशानी को शेयर करते हुए बताया कि आरएलएसपी के महागठबंधन में शामिल होने के बाद वे पार्टी में असहज महसूस करने लगे थे। इस असहजता के कारण हीं वे पार्टी के महासचिव का पद छोड़ रहे हैं।
ज्ञात हो कि कुछ दिनों पूर्व राज्य के कार्यकारी अध्यक्ष श्री नागमणि ने इस्तीफा दे दिया था। नागमणि को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा करने के कारण यह पद गंवाना पड़ा था। पार्टी में सबसे पहले उपेंद्र कुशवाहा के दाहिना हाथ कहे जाने वाले अरुण कुमार ने उनसे किनारा किया। इसके बाद विधायक ललन पासवान कुशवाहा से अलग हुए। फिर एक अन्य विधायक सुधांशु शेखर ने भी कुशवाहा का साथ छोड़ दिया। एक के बाद एक नेता के पार्टी से दूरी बनाने से उपेन्द्र कुशवाहा अलग—थलग पड़ते नजर आ रहे हैं।