एईएस से बच्चों की मौत पर पसोपेश में केंद्र और राज्य सरकार

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पटना : केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे आज उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति में फंस गए जब पटना में आईजीआईएमएस में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों ने उनसे बिहार में महामारी का रूप ले रहे एईएस यानी इंसेफलाइटिस से बच्चों की हो रही मौतों पर सवाल पूछ लिया। मुजफ्फरपुर समेत समूचे बिहार में अब तक इस वर्ष इंसेफलाइटिस से 38 बच्चों की मौत हो चुकी है और राज्य सरकार इसे काबू करने में अब तक नाकाम साबित हुई है। इस पर श्री चौबे ने कहा कि मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत दुखद घटना है। चुनाव की वजह से अधिकारी व्यस्त हो गए थे, जिसकी वजह से जागरूकता की कमी रह गई। अगर बिहार सरकार केंद्र से मदद मांगेगी तो केंद्र सरकार पूरी मदद करेगी। श्री चौबे के इस बयान के बाद स्थानीय मीडिया ने उनपर संवेदनाहीन होने को लेकर खबरें चलानी शुरू कर दी।

इससे पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि अभी तक 11 बच्चों के मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन इंसेफलाइटिस से अभी तक किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है। 10 बच्चों की मौत हाईपोगलेसिमिया से हुई, जबकि एक बच्चे की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस से हुई है।
स्पष्ट है केंद्र और राज्य के दोनों मंत्रियों ने अपनी—अपनी बात से ही खुद को कटघरे में खड़ा कर लिया। जहां केंद्रीय मंत्री की इस गंभीर समस्या पर संबेदनशीलता चुनावी व्यस्तता की भेंट चढ़ गई, वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने इस बीमारी के बारे में अपनी समझ को बिल्कुल ही अधकचरे ज्ञान पर आ​धारित साबित कर दिया। दरअसल स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार एईएस कई बीमारियों का समूह होता है और इसमें ही जापानी इन्सेफेलाइटिस या चमकी बुखार और हाईपोगलेसिमिया आते हैं। साफ है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे बिहार को निजात दिलाने की जगह शब्दों की बाजीगरी द्वारा अपनी जवाबदेही से किनारा करने की कोशिश की। मालूम हो कि इस वर्ष एईएस से राज्य के 12 जिले और 222 प्रखंडों के प्रभावित होने की सूचना है जिसमें सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर जिला इफेक्टेड है।

swatva

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