चुनाव की सुगबुगाहट होते ही महागठबंधन में सीटों और सीएम मेटेरियल को लेकर जिच शुरू हो गई है। सीएम मेटेरियल को लेकर तेजस्वी पर सभी वरीय नेताओं भृकुटि तन गयी है कि उनके नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। दूसरी ओर, सीटों को लेकर भी नेताओं की अहं टकराने लगी है।
80 से अधिक सीटों की मांग करेगा कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष मदनमोहन झा ने कहा कि कांग्रेस 80 से अधिक सीटों को टेबल पर रख दिया है। उससे कम नहीं चाहिए। दूसरी ओर रालोसपा के नेशनल प्रेसिडेंट उपेन्द्र कुशवाहा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपनी वरीयता का हवाला देते हुए तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ना नहीं चाहते। उन दोनों की की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं और तर्क भी है। महत्वाकांक्षा तो विदित है और तर्क उन दोनों का लम्बा पाॅलिटिकल कॅरियर है।
तेजस्वी रूके पर कुशवाहा पहुंच गये गोपालगंज
सूत्रों ने बताया कि जब प्रशासन ने कोरोना का हवाला देते हुए तेजस्वी प्रसाद यादव को गोपालगंज जाने से रोका तो उपेन्द्र कुशवाहा ने बिना किसी को बताए अपने सहयोगियों के साथ वर्तमान नार्म का पालन करते हुए गोपालगंज पहुंच गये। वहां प्रशासन ने उन्हें सम्मान के साथ कोरोना नाम्र्स का हवाला देते हुए जाने से रोका ,पर उन्होंने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवा दी।
सम्मानजनक पोजीशन चाहते हैं मांझी
जानकारी मिली है कि जीतनराम मांझी ने सम्मानजनक पोजीशन में रहना चाहते हैं। कारण-कि महागठबंधन में उनका पाॅलिटिकल प्रोफाईल सबसे लंबा-तगड़ा है। तगड़ा होने के पीछे उनका मुख्यमंत्री बनना और फिर नीतीश कुमार पर तगड़ा अटैक करते हुए इस्तीपफा देना माना जाता है।
गठबंधन में मजबूत हैसियत रखे पुरानी पार्टी कांग्रेस भी है। कांग्रेस ने भी अपने तर्कों का हवाला देते हुए पार्टी में सम्मानजनक हैसियत की मांग करता रहा है। अखिलेश सिंह के हालिया बयान से साफ हो गया है कि तेजस्वी को लेकर पार्टी में कई नेता महागठबंधन में नेताओं को लेकर असहज महसूस करते हैं।