कोविड के अलावा बिहार में मंडरा रहा एक और खतरा, HIV संक्रमण में तीसरा नंबर
नयी दिल्ली/पटना : बिहार में कोरोना से भी बड़ा एक और खतरा यहां के युवाओं पर मंडरा रहा है। यह खतरा है HIV/एड्स का। नाको यानी नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में हर वर्ष 8000 संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। इस कारण अब बिहार राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण दर में कमी के बावजूद देश में महाराष्ट्र और यूपी के बाद तीसरे नंबर पर आ गया है। यूनीसेफ के हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. एस सिद्धार्थ के अनुसार बिहार में एड्स की चपेट में आये युवाओं की संख्या ज्यादा है। यह चौंकाने वाली बात है।
यूनीसेफ एक्सपर्ट के अनुसार बिहारी युवाओं में एड्स के बढ़ते संक्रमण की मुख्य दो वजहें हैं—पहला यह कि युवा नसों में सुई की इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं और दूसरा यह कि वे समलैंगिक सेक्स में बिना किसी जानकारी के ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। वहीं बिहार में एचआईवी सालाना जांच के आंकड़ें कुछ उम्मीद जरूर बंधा रहे हैं। इनके अनुसार जहां 2018—19 में 6 लाख लोगों में से 1.83 प्रतिशत लोग पॉजिटिव मिले थे, वहीं 2021—22 में फरवरी तक पौने 7 लाख लोंगों की जांच में महज 0.91 प्रतिशत लोगों की ही रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
विशेषज्ञों ने बताया कि युवाओं को जागरुक करने के लिए सघन अभियान चलाना जरूरी है। इसके साथ ही युवाओं की जांच और काउंसिलिंग पर भी काफी ध्यान देने की आवश्यकता है। चूंकि कोविड की जटिलता भी काफी आ गई है, ऐसे में एड्स को लेकर सतर्क दृष्टिकोण अपनाना समय की मांग हो गई है।