अधिकारियों की ‘तेरी—मेरी’ मार रही इस सड़क को
नवादा :‘मेरा इलाका—तुम्हारा इलाका’ के चक्कर में करोड़ों की लागत से बनी सड़क की उपयोगिता आज फूटी कौड़ी की भी नहीं। महज एक किलोमीटर का निर्माण नहीं किये जाने के कारण दो जिलों को जोड़ने वाले इस पथ का अस्तित्व ही बेमानी हो गया है। हम बात कर रहे हैं नवादा—शेखपुरा सड़क की। जिम्मेदारियों की प्रशासनिक फेंका—फेंकी में दोनों जिलों के लाखों लोगों को एक दूसरे से संपर्क बनाने हेतु 10 किमी अधिक की दूरी तय करनी पड़ रही है। वह भी तब जब दोनों जिलों द्वारा अपने—अपने इलाके में अवस्थित इस पथ के अंतिम छोर के गांव तक सड़क—कालीकरण का काम कब का पूर्ण किया जा चुका है। लेकिन इन दोनों गांवों के बीच के एक किमी से भी कम दूरी तक यह पथ आज भी मिट्टी का ही है। इस एक किलोमीटर के मिट्टी वाले हिस्से को दोनों जिले के अफसर—’उनका इलाका है, वह करें’ कहकर एक दूसरे पर इसके कालीकरण न होने का ठीकरा फोड़ रहे हैं।
करोड़ों से बनी नवादा—शेखपुरा सड़क बेकाम
नवादा जिले के सीमावर्ती जमुई की सीमा पर पकरीबरावां प्रखंड के निकट अवस्थित यह पथ मुख्यालय के नवादा-जमुई पथ के कौडीहारी नहर से होकर जाती है। पथ काफी उपयोगी है। एक किलोमीटर पथ नहीं बनने के कारण लोग 10 किलोमीटर अधिक की दूरी तय करने को विवश हैं। शेखपुरा जाने के लिये उन्हें जमुई जिले के आढ़ा मोड़ होते हुए धमौल होकर जाना पड़ता है। जबकि इसके बन जाने से लोग सीधे महुली होकर शेखपुरा जा सकते हैं।
कितने गांव के लोग होंगे लाभान्वित
इस पथ के बन जाने से नवादा के सिलौर, जिल्वरिया,पिण्डपरवा, तानपुरा, जस्त आदि और शेखपुरा के चोरवर, बौरना सहित दर्जनों गांवों के लोग लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही जिले के रोह व कौआकोल प्रखंड के लोगों को काफी इस सड़क का काफी लाभ मिलेगा।
जनप्रतिनिधि नहीं ले रहे रुचि
दोनो जिलों के लोगों ने मात्र एक किलोमीटर से बहुत कम पथ का पक्कीकरण करने के लिए स्थानीय सांसद से लेकर विधायक तक गुहार लगाई, परन्तु किसी ने इस पर कोई नोटिस नहीं लिया। और तो और, जब दोनों ओर के लोगों ने अपने—अपने जिले के सक्षम पदाधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने भी इस पर ठंडा रुख ही अपनाया। अभी बरसात शुरू हो गई है। इस समय यहां के निवासियों के लिए आवाजाही में रास्ता बंद हो जाने के कारण भारी दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
इस बाबत संपर्क करने पर कार्यपालक अभियंता ने कहा कि यह पथ उनके संज्ञान में है। अभी उन्होंने इस स्थल को नहीं देखा है। देखने के बाद समस्या का समाधान करने की कार्रवाई करेंगे। उनके अनुसार अभी जो पथ है वह दोनों जिलों में पड़ता है। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि कालीकरण किस जिले को करवाना है। बता दें कि जब भी लोग इस मामले पर बात करते हैं तो इसी तरह की बात बताकर दोनों जिलों के अधिकारियों द्वारा टालमटोल कर दिया जाता है।
(रवीन्द्र नाथ भैया)