पटना : साहित्य भाषा और शब्दकोष में अनुपम योगदान के लिए आचार्य श्रीरंजन सूरीदेव के अवतरण दिवस पर पटना के तारामंडल सभागार में उन्हें सम्मानित किया गया। दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा रविवार को आयोजित संस्कृति संवाद के मौके पर महामहिम लालजी टंडन उद्घाटनकर्ता की भूमिका में नजर आये। महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव से अस्पताल में जा कर मुलाकात की।
उन्होंने बिहार को विभूतियों ओर मनीषियों की भूमि कहते हुए शास्त्र की त्रिधारा प्रख्यात श्रीरंजन सूरिदेव के साहित्यिक योगदान का आभार प्रकट किया। इस दौरान विशिष्ट अतिथि केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने श्रीरंजन जी को साहित्य में उनकी रुचि को बढ़ाने के लिए अभिभावक माना। वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र ने श्रीरंजन सूरीदेव को 70 वर्षों से साहित्य के भंडार को जागृत करने वाला श्रेष्ठ पुरुष बताया। कार्यक्रम में आचार्य श्रीरंजन सूरीदेव के साहित्यिक जीवन पर आधारित पुस्तक “साहित्यकार सर्जक ” का लोकार्पण भी किया गया।
हालांकि स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे श्रीरंजन सूरिदेव वहां अनुपस्थित रहे पर उन्होंने पत्र के माध्यम से सबका आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बिहार के साहित्य में उनके योगदान को और उनकी प्रतिभा को कमतर आंकने की बात कही गई।
कार्यक्रम में कई बड़े साहित्यकार मौजूद थे। डॉक्टर देवेंद्र दीपक, डॉक्टर इंद्र सेंगर, आचार्य किशोर कुणाल, डॉक्टर शत्रुघन प्रसाद, डॉक्टर शिवनारायण, प्रोफेसर अमरनाथ सिन्हा, मृदुला मिश्र आदि ने अपने व्यक्तिगत विचार साझा किये और खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे श्रीरंजनजी के दीर्घायु होने की कामना की।
सत्यम/राजन/सोनू
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