नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को कोरोना की चुनौतियों से एक बार फिर सचेत किया। साथ ही उन्होंने बिहार और असम में बाढ़ की विपदा के बीच लोगों के आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम की चर्चा भी की। उन्होंने बिहार की मिथिला पेंटिंग के साथ-साथ असम में बांस से सामान बनाकर आत्मनिर्भर बन रहे लोगों की कहानी भी देश के साथ साझा की। पीएम ने लोगों से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कोरोना महामारी से आजादी का संकल्प लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है, इसलिए मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।
आपको बता दें कि पीएम मोदी हर महीने के अंतिम रविवार को जनता से अपने मन की बात करते हैं। आज के अपने इस संबोधन में पीएम ने बिहार और असम में बाढ़ आपदा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस समय बारिश का मौसम भी है। पिछली बार भी मैंने आप से कहा था कि बरसात में गन्दगी और उनसे होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आप साफ़-सफ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दें।
आत्मनिर्भर बनने की कहानी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क बन रहे हैं, जो अब काफी मशहूर हो चुके हैं। झारखंड के विष्णुपुर में लेमन ग्रास की खेती हो रही है। लद्दाख में खुमानी को तकनीकी तौर पर सुखाने का काम शुरू हुआ है। कच्छ में भी ड्रैगन फ्रूट्स की खेती खूब हो रही है। असम और नॉर्थ ईस्ट में बांस से शानदार और इकोफ्रेंडली बोतल और टिफिन बॉक्स बन रहे हैं। यह हमारे युवाओं और मेहनतकश इंसानों का ही जज्वा है जो विपत्तियों में भी भारत को ताकतवर बनाता है। जब हम कुछ नया करने का सोचते हैं तो ऐसे काम भी संभव हो जाते हैं, जिनकी आम-तौर पर कोई कल्पना नहीं करता। जैसे कि बिहार के कुछ युवा मोती का काम कर रहे हैं। बिहार में कई महिलाएं स्वयं सहायता समूह ने मधुबनी पेंटिंग वाला मास्क बनाना शुरू किया है। देखते-ही-देखते यह काफी प्रसिद्घ हो गया है। ये मधुबनी मास्क एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को स्वास्थ्य के साथ रोजगारी भी दे रहे हैं।
मैं आप से आग्रह करूंगा जब भी आपको मास्क के कारण परेशानी महसूस होती हो, मन करता हो उतार देना है तो पल-भर के लिए उन डॉक्टरों का का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये। आप देखिये वो मास्क पहनकर के घंटो तक लगातार, हम सबके जीवन को, बचाने के लिए जुटे रहते हैं। हमें इस वक्त अपनी अर्थव्यवस्था और कोरोना दोनों ही मोर्चों पर लड़ना है।