पटना : पक्षियों को तपती गर्मी से बचाने एवं उनकी प्यास बुझाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने एक कबायद शुरू की है। इसके तहत घरों एवं कार्यालयो के छतों पर मिट्टी के बर्तन में पानी की व्यवस्था की जाएगी। आपदा प्रबंधन विभाग सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सभी लोगों से अपील की है कि अपने घर की छत पर, बालकनी, झरोखे, बरामदे, गार्डेन में चिड़ियों के लिए पानी रखें और दूसरे को भी प्रेरित करें।आपदा प्रबंधन के सचिव ने अपने घर की छत पर एवं लॉन में भी मिट्टी के बर्तन में पानी रखकर उसके शुरुआत की है।
उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में तलाब जलाशय की कमी के कारण पशु पक्षियों को पर्याप्त मात्रा में पीने हेतु जल नहीं मिल पाता है जिसके कारण उन्हें गर्मी के दौरान काफी परेशानी होती है तथा कई बार उनकी मृत्यु भी हो जाती है। एक बूंद की तलाश में सूखे नल में चिड़िया कैसे मुंह लगाए रखती है यह कई बार देखा है। पानी की कमी से कोई चिड़िया न मरे इसके लिए जरूरी कि अपने घर, ऑफिस, लॉन, बालकनी जहां भी जगह हो चिड़ियों के लिए मिट्टी या किसी भी अन्य बर्तन में पानी जरूर रखें।
छतों पर पानी रखें ताकि कोई प्यासे पक्षी की न हो मौत
उन्होंने बताया कि इसके पीछे हमारा उद्देश्य कि पानी की वजह से पक्षियों की मौत न हो और दूसरा आम लोगों को इको सिस्टम से जोड़ना। इससे एक ओर इको सिस्टम व पर्यावरण के प्रति सजगता पैदा होगी वहीं दूसरी ओर लोगों के मन मे पक्षियों के प्रति प्रेम की भावना पैदा होगी। चिड़ियों की कई प्रजातियां विलुप्त होते जा रही है। इसलिए इसे बचाना जरूरी है।
सोशल मीडिया से लोगों को किया जाएगा जागरूक
आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा है कि गर्मी में चिड़ियों को पानी पिलाने के लिए अपने घरों, ऑफिस आदि के छतों पर बर्तन में पानी रखने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने अपील की है कि लोगों को प्रेरित करने के लिए आप भी फेसबुक व ट्विटर पर फोटो शेयर करें।
लू के दौरान बेजुबान पशु पक्षियों का भी रखें ख्याल
सभी लोग अपने घरों की छतों पर पक्षियों के लिए मिट्टी के बर्तन या प्लास्टिक के टब में पानी रखें।शहरी क्षेत्रों में जल की उपलब्धता नहीं होने के कारण धीरे-धीरे पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है जो पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से उचित नहीं है। उनका जीवन उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हमारा। तापमान के लगातार बढ़ने से बेजुबान पशु पक्षियों को काफी परेशानियां होती है तथा वह या तो पलायन कर जाते हैं या दम तोड़ देते हैं।