आलाकमान की योजना से बिहार भाजपा को प्रधान बनाएंगे धमेंद्र, यहीं से उपराष्ट्रपति भी!
बीते दिन राजधानी पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से केंद्रीय शिक्षा मंत्री तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुलाकत की थी। धर्मेंद्र प्रधान और नीतीश कुमार के बीच जारी मुलाक़ात के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री और नीतीश कुमार के सिपहसालार विजय चौधरी भी पहुंचे थे। इस मुलाकात को लेकर यह बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर बातचीत हुई। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान नई शिक्षा नीति को लेकर काफी गंभीर हैं। वे स्वयं देश के विभिन्न राज्यों में प्रभावी नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। वैसे लोगों से मिल रहे हैं, जिनकी सामजिक पैठ है। प्रधान का कहना है कि नई शिक्षा नीति वैश्विक परिदृश्य में रणनीतिक परिवर्तनों के अनुरूप तैयार की गई है। यूपी, असम और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में उन्होंने खुद जाकर वहां के नेताओं से नई शिक्षा नीति पर बातचीत की है। इसलिए कहा जा रहा है कि बिहार दौरे पर उन्होंने सीएम नीतीश और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी से इस मुद्दे पर बातचीत की।
बिहार में खत्म होने वाला है भूपेंद्र यादव का एकतरफा राजनीतिक हस्तक्षेप
वहीं, राजनीतिक घटनाओं पर नजर बनाए रखने वालों का मानना है कि बिहार में धर्मेंद्र प्रधान का दौरा अनायास या सिर्फ शिक्षा नीति को लेकर नहीं है। धर्मेंद्र प्रधान बिहार में केंद्रीय नेतृत्व का संदेशवाहक बन कर आए थे। उनके संदेश का निहितार्थ यही था कि धर्मेंद्र बिहार में भाजपा को प्रधान बनाने की परिकल्पना को जीवंत रूप देने आए थे। बिहार की सत्ता का हस्तांतरण करने की परिकल्पना को मजबूत इसलिए बताया जा रहा है, क्योंकि स्टेट गेस्टहाउस में प्रधान से मिलने वाले बिहार भाजपा के नेताओं को बयानबाजी करने से मना किया गया है। साथ ही यह सन्देश देने का प्रयास किया गया है कि अब बिहार में भूपेंद्र यादव का एकतरफा राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म होने वाला है और आने वाले समय में कोई बिहारी ही भारत का उपराष्ट्रपति होगा!
अवसान की ओर नीतीश और लालू की राजनीति
धर्मेंद्र प्रधान के दौरे को लेकर यह कहा जा रहा है कि 2024 के आम चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। ममता बनर्जी का काफ़िर वाला बयान, तो प्रशांत किशोर का कॉरपोरेट समाज सेवा के रंग में रंगे जन सुराज यात्रा से इसके झलक मिलने लगे हैं। नीतीश और लालू की राजनीति अब अवसान की ओर है, ऐसे में बिहार से भारत की भावी राजनीति के प्राक्कथन लिखे जाने की पूरी संभावना बन रही है। इस स्थिति से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा पूरी तरह से अवगत है। बिहार में सत्ता हस्तांतरण को लेकर कुछ ऐसे खेल की संभावना बढ़ रही है, जिसकी कल्पना राजनीति के माहिर खिलाड़ी भी नहीं कर सकते हैं या कर रहे होंगे।
परिवर्तित हो चुका RJD का MY समीकरण
भूपेंद्र यादव और बिहार भाजपा के गलत निर्णयों के कारण भाजपा से आंशिक रूप से नाराज भूमिहार-ब्राह्मण को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीति करने वाले तथाकथित नेताओं द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि भूमिहार और ब्राह्मण समाज अब तेजस्वी यादव के साथ खड़ा हो चुका है। इसी को आधार मानकर तेजस्वी के राजनीतिक मेन्टरों ने उन्हें राजद के पुराने समीकरण को बदल डालने की नसीहत दी है, इसके बाद यह कहा जा रहा है कि राजद का एमवाई (MY) समीकरण भूमि (BHUMY) में परिवर्तित हो चुका है।
दलित राजनीति को किया जा सकता मुखरित
तमाम राजनीतिक हलचलों के बावजूद 15-15 % वोट बैंक का बड़ा जनाधार वाला सवर्ण और पिछड़ा एवं दलित समाज मौन धारण कर अवसर की तलाश में है। इसका अर्थ यह नहीं कि इस वर्ग की राजनीतिक आकांक्षाएं सुसुप्तावस्था में चली गई है। इस वर्ग के मौन को कभी भी मुखरित किया जा सकता है। भाजपा के विचारक और रणनीतिकार के जेहन में राजनीतिक केमिस्ट्री और इसकी व्याकरण की समझ है। ऐसे में अपने निर्णयों से सबको चौंका देने वाली नरेंद्र मोदी की भाजपा कुछ ऐसी कर सकती है, जिसके बारे में राजनीतिक पंडित दूर-दूर तक नहीं सोच रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि, खुद नरेंद्र मोदी को जब गुजरात के सीएम पद का जिम्मेदारी लेने का निर्देश दिया गया था, तो वे जरूर चौंके होंगे।
कुर्मी-कोईरी और जनजाति को एकतरफा करने के प्रयास में BJP
बहरहाल, यह लगभग तय माना जा रहा है कि 2024 का आम चुनाव भाजपा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ेगी। इसलिए मोदी अपने राजनीतिक जीवन के आखिरी चुनावी राजनीति में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजनीति में नित्य नए कीर्तिमान स्थापित करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी बिहार को लेकर काफी गंभीर हैं। बिहार भाजपा के हर एक्टिविटी पर वे नजर बनाये हुए हैं। नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा यूपी-बिहार में कुर्मी और कोईरी वोटरों को एकतरफा अपने पाले में लाने के प्रयास में है। इसी कारण खुद की सीट गंवाने वाले केशव मौर्य को पुनः यूपी का डिप्टी सीएम बनाया गया। साथ ही राष्ट्रपति पद के लिए अभी भाजपा की पहली पसंद जनजाति समुदाय से आने वाली नेत्री हैं।