पटना : लोकसभा चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल को वोटिंग के साथ पूरा हो जाएगा। बिहार की राजनीति के बारे में कहा जाता है कि यहां जातीय गणित स्थानीयता के मुद्दे पर हमेशा भारी पड़ता है। शायद इसीलिए बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से आधे से अधिक संसदीय क्षेत्रों में विभिन्न राजनीतिक दलों ने बाहरी प्रत्याशियों पर दांव खेला है।
कहां का कौन, कहां से प्रत्याशी
बेगूसराय सीट से चुनाव मैदान में आये गिरिराज सिंह का पैतृक स्थान लखीसराय है जो मूंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वहीं भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय जो उजियारपुर लोकसभा सीट से खड़े हैं, वो मूलतः वैशाली के निवासी हैं। लोजपा के चिराग पासवान जमुई लोस क्षेत्र के प्रत्याशी हैं, जबकि उनका पैतृक जिला खगड़िया है। लोजपा की ओर से बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी वैशाली से जबकि भाई चन्दन कुमार नवादा से चुनावी मैदान में हैं। हालांकि ये दोनों मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के मोकामा निवासी हैं। बक्सर से भाजपा के वर्तमान सांसद और प्रत्याशी अश्विनी चौबे भागलपुर के रहने वाले हैं, जबकि बांका से जदयू के उम्मीदवार गिरिधारी यादव असल में जमुई लोकसभा क्षेत्र से आते हैं।
हालांकि स्थान बदल कर जातीय समीकरणों की राजनीति पर भले ही सभी दल ना-ना करते हों। पर कोई भी इससे अछूता नहीं। महागठबंधन में शामिल शरद यादव जो मधेपुरा लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं, उनका पैतृक स्थान बिहार से बाहर मध्यप्रदेश, जबलपुर में है। वहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार जो सासाराम से कांग्रेस प्रत्याशी हैं, वो असल में आरा लोकसभा क्षेत्र की मूल निवासी हैं। रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा जो काराकाट से चुनावी मैदान में हो सकते हैं, वो मूलतः वैशाली से हैं। ऐसे ही खगड़िया से महागठबंधन के संभावित उम्मीदवार मुकेश साहनी मूलतः दरभंगा से हैं। दरभंगा से दावेदारी ठोंकते हुए अंततः वाल्मीकिनगर सीट पर खिसकाए गए कीर्ति आजाद भागलपुर से हैं।
बिहार में जाति आधारित इन समीकरणों के कई पहलू हैं। कहीं भूमिहार बहुल इलाके हैं तो कहीं मुस्लिम और यादव बहुल। इसी गणित के आधार पर चुनाव में कैंडिडेट खड़े किए गए। इसी बीच महागठबंधन के घटक दलों में पहले तो सीटों के बंटवारे को लेकर और फिर उम्मीदवारी को लेकर उलझनें बनी हुई हैं।
(सत्यम दुबे)