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आग की रोकथाम हेतु जानिये क्या करें और क्या न करें

पटना : प्रशासन ने जनता से अग्नि-सुरक्षा हेतु निर्धारित मापदंडों का पालन करने का आह्वान किया है। जिलेवासियों के नाम संदेश में कहा कि ग्रीष्मकाल में विभिन्न क्षेत्रों में अग्निकांड की संभावना काफी बढ़ जाती है। आग की छोटी-सी लौ भी एक क्षण में पूरी तरह से अनियंत्रित होकर बड़ी आग में परिवर्तित हो सकती है। अतः हर व्यक्ति के स्तर पर अपेक्षित सतर्कता आवश्यक है। अग्निकांड की आपदा से निपटने हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) एवं समय-समय पर विभाग द्वारा निदेश भेजे गये हैं। इसके अक्षरशः अनुपालन से अगलगी की घटनाओं को रोका जा सकता है।

डीएम ने अधिकारियों को दिए निर्देश

(i) अग्निकांड की सूचना प्राप्त होते ही अंचल अधिकारी / अनुमण्डल पदाधिकारी घटना स्थल पर पहुँच कर राहत एवं बचाव के कार्य कराना सुनिश्चित करें। जहाँ पर अग्निकांड की बड़ी घटना प्रतिवेदित हो, वहाँ अपर समाहर्त्ता, आपदा प्रबंधन स्वयं शीघ्रातिशीघ्र पहुँच कर राहत एवं बचाव कार्य कराना सुनिश्चित करें।

(ii) अग्निकांड की सूचना प्राप्त होते ही आवश्यकतानुसार फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को मौके पर रवाना करें।

(iii) गर्मी के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में आगलगी की घटनाओं की रोकथाम के संबंध में फायर ब्रिगेड के पदाधिकारी मुस्तैद रहेंगे।

(iv) अग्निकांड पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर अनुमान्य साहाय्य यथा पॉलिथिन शीट, नकद अनुदान तथा वस्त्र एवं बर्तन के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाए। इसी प्रकार घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था की जाएगी तथा मृतकों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान का भुगतान अविलंब किया जाए।

(v)जले एवं क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वेक्षण कर इसका जियो टैगिंग एवं फोटोग्राफी कराकर गृह क्षति अनुदान का भुगतान शीघ्रातिशीघ्र कर दिया जाए।

(vi) विशेष राहत केन्द्रों के संचालन की स्थिति में कोरोना वायरस संक्रमण के परिदृश्य में सामाजिक दूरी, मास्क एवं अन्य स्वास्थ्य मानकों का अनुपालन आवश्यक रूप से किया जाए।

डीएम डॉ० चन्द्रशेखर सिंह ने कहा आगजनी से बचाव हेतु जनहित में “क्या करें, क्या नहीं करें” जारी किया गया है। आम जनता इसका अनुपालन कर अगलगी की घटनाओं को रोक सकती है।

क्या करें

• स्टोव या लकड़ी, गोइठा आदि के जलावन वाले चूल्हे पर खाना बनाते वक्त सावधनी बरतें हमेशा सूती वस्त्र पहनकर ही खाना बनायें।

• गेहूँ ओसनी का काम हमेशा रात में तथा गाँव के बाहर खलिहान में जाकर करें।

• घर व खलिहान पर समुचित पानी व बालू की व्यवस्था रखें।

• खाना पकाते समय रसोईघर में वयस्क मौजूद रहें, बच्चों को अकेला न छोड़ें।

• खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुॅच पाए. इस बात की पूरी तसल्ली कर लें।

• सरकारी सहायता पाने के उद्देश्य से जानबूझकर अपनी सम्पत्ति में आग लगाने वालों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने में प्रशासन की मदद कर जागरूक नागरिक अवश्य बनें।

• तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन उतारने के लिए करें।

• तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें।

• तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें या सिर्फ बेकिंग सोडा, नमक डालें या उसे ढंक दें।

• खिड़की के बाहर कोई चादर या तौलिया लटका दें ताकि बाहर लोगों को पता चल सके कि आप कहाँ हैं और आपको मदद चाहिए।

• गैस चूल्हे का इस्तेमाल करने के तुरंत बाद सिलिंडर का नॉब तुरंत बंद कर दें।

• बिजली तारों एवं उपकरणों की नियमित जाँच करें।

• घर में अग्निशमन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नंबर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यों को इन नंबरों के बारे में पता हो।

• आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करें और उन्हें अपना पूरा पता बतायें फिर दमकल विभाग जैसा कहें वैसा ही करें।

क्या न करें

• बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले एवं अन्य सामानों के पास न जाने दें।

• बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहाँ-तहाँ न फेंकें, उसे पूरी तरह बुझने के बाद ही फेंकें।

• चूल्हा, ढिबरी, मोमबत्ती कपूर इत्यादि जलाकर न छोड़ें।

• अनाज के ढेर, फूस या खपड़ैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन नहीं चलाएं।

• सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों एवं बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएँ।

• आपके कपड़े में अगर आग लग जाए तो दौड़ना नहीं चाहिए बल्कि जमीन पर लेटकर गोल-गोल कर आग बुझायें।

• खाना बनाने के समय ढीले-ढाले कपड़े न पहनें।

• अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें।

• गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुऐं।

• खाना पकाते समय रसोईघर में बच्चों को अकेला न छोड़े।

डीएम ने अग्निकांड की रोकथाम हेतु सभी अंचलाधिकारियों को इन तथ्यों को प्रचारित- प्रसारित कराने का निदेश दिया है। साथ ही आम जनता के बीच अग्नि सुरक्षा हेतु लगातार जागरूकता अभियान चलाने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन पूर्णतः मुस्तैद है।

(i) हवा के झोंकों के तेज होने के पहले ही खाना पकाकर चूल्हे की आग को पानी से पूरी तरह बुझा दें।
(ii) चूल्हे की आग की चिंगारी पूरी तरह बुझी हो, इसे सुनिश्चित कर लिया जाए।
(iii) घर से बाहर जाते समय बिजली का स्विच ऑफ हो इसे सुनिश्चित कर लिया जाए।
(iv) खाना वैसी जगह पकाया जाय, जहाँ हवा का झोंका न लगे। बीडी-सिगरेट पीकर इधर-उधर या खलिहान की तरफ न फेंके।
(v) आगजनी से बचाव हेतु उपाय क्या करें, क्या न करें को आग-प्रवण क्षेत्रों में लगातार प्रसारित किया जाए।
(vi) गाँव/ मोहल्लों में जल एवं बालू संग्रहण की व्यवस्था रखी जाय ताकि आग पर शीघ्र काबू पाया जा सके।
(vii) प्रत्येक गाँव में फायर बीटर्स, फायर टैंक, बाल्टी, रस्सी एवं कुल्हाड़ी आदि छोटे-छोटे अग्निशमन उपकरण सार्वजनिक स्थल पर रखवाने की व्यवस्था पंचायत की मदद से की जाए।