नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने लड़कियों की विवाह की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का फैसला किया है। साथ ही चुनाव प्रक्रिया में एक बड़े सुधार के तहत एक बिल को मंजूरी दी गई जिसमें मतदाता के वोटर आईडी को उसके आधार कार्ड से लिंक करने की योजना पर अमल किया जाएगा। हालांकि यह फैसला मतदाता की स्वेच्छा से होगा।
मोदी कैबिनेट का अहम फैसला, पहले 18 थी उम्र
केंद्र की मोदी कैबिनेट ने महिलाओं के विवाह की कानूनी उम्र को 18 से 21 वर्ष तक करने का प्रस्ताव पारित किया जो अब पुरुषों के समान होगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में एक संशोधन बिल संसद में रखेगी। इसके चलते विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन किया जाएगा। अभी लड़िकयों की शादी की उम्र कानूनी रूप से 18 साल तय की गई है। ऐसे में अब इस बदलाव के बाद 21 साल से कम उम्र की लड़िकयों का विवाह करना गैर-कानूनी होगा।
अब युवाओं को वर्ष में वोटर आईडी बनवाने के 4 मौके
उधर एक अन्य प्रस्ताव में वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने की पहल पर बताया गया कि इस प्रक्रिया के बाद फर्जी वोटर कार्ड से होने वाली धांधली को रोकने में मदद मिलेगी। बता दें कि सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया है। बिल में चार प्रमुख सुधार प्रस्तावित किये गए हैं। जिसमें वोटर लिस्ट को मजबूत करने, मतदान प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाने, चुनाव आयोग को अधिक शक्ति देने और फर्जीवाड़े को हटाना शामिल हैं।
स्वैच्छिक होगा आधार—वोटर आईडी लिंकेज
आधार और वोटर आईडी एक साथ लिंक करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा। प्रस्तावित बिल में देश के युवाओं को साल में चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को मतदाता के तौर पर पंजीकृत करने का मौका मिलेगा। यानी वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। संशोधन के बाद अब साल में एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई तथा एक अक्टूबर को पंजीकृत होने का मौका मिलेगा।