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7 के बाद क्या करेंगे RCP, होंगे BJP में शामिल या मानेंगे JDU का निर्णय

पटना : कहा जाता राजनीति में कब कोन सी चाल उल्टी पड़ जाए किसकी को मालूम नहीं होता है। इसका हालिया उदाहरण है जदयू कोटे से मोदी कैबिनेट में एक मात्र मंत्री आरसीपी सिंह। यह वहीं आरसीपी सिंह हैं, जिन्हें एक समय में नीतीश के बाद दूसरा चीफ माना जाता था। लेकिन,अब उनके ही ऊपर जदयू ने ऐसी तलवार लटकाई है कि न उनको निगलते बन रहा है और न ही उगलते। इसी कारण आरसीपी सिंह इस वक्त चुप्पी साधे बैठे हैं।लेकिन, उनको अपनी ये चुप्पी कल यानी 7 जुलाई को तोड़नी पड़ जाएगी।

आरसीपी को लेकर ये सवाल चर्चा में

दरअसल, बिहार की राजनीतिक गलियारों में सबकी नजर इस पर टिकी हुई है कि आज यानी 6 जुलाई को राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल खत्म होने के बाद आरसीपी सिंह क्या फैसला लेते हैं। क्या वो केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हैं? और यदि वो केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हैं तो फिर आगे क्या करेंगे? या फिर भाजपा में शामिल होंगे।

BJP नहीं चाहेंगी खटास

राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा आरसीपी सिंह को लेने का जोखिम लेगी इसकी संभावना कम है, क्योंकि फिर उनकी जेडीयू से अनबन होने की संभावना बढ़ जाएगी और जेडीयू जो बिहार में सत्ता परिवर्तन को लेकर मौका तलाश रही है उसको एक मौका खुद से मिल जाएगा। इस कारण भाजपा यह कतई नहीं चाहेगी कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कोई खटास पैदा हो। ऐसे में एक बार फिर से यह सवाल बरकरार है कि 6 जुलाई के बाद आरसीपी सिंह क्या करेंगे?

इधर, पीछले दिनों आरसीपी के भाजपा में शामिल हो को लेकर चल रही चर्चायों पर हैदराबाद से दिल्ली लौटे आरसीपी सिंह ने चुप्पी साध ली। मंगलवार को वे लगातार सवालों से बचते नजर आए। यहां तक की आरसीपी सिंह इस्तीफा दे रहे हैं या वे मंत्री बने रहेंगे, इस पर भी उन्होंने चुप्पी साध ली। उन्होंने सिर्फ इशारों में इतना कहा कि फिलहाल वेट एंड वॉच की मुद्रा में रहेंगे।

राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म

दरअसल, जदयू नेता आरसीपी सिंह का राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है। ऐसे में बिना सांसद रहे कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री के अधिकार से अधिक से अधिक 6 महीने तक ही मंत्री रह सकता है। अब ऐसे में वह इस्तीफा देते हैं कि नहीं इसपर सबकी नजर रहेगी। अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं और केन्द्रीय इस्पात मंत्री पद पर बने रहते हैं, तो इसका संकेत साफ मिलेगा कि उनकी भाजपा से अंदुरूनी बार हो गयी है। क्योंकि जदयू ने उन्हें वापस से राज्यसभा सांसद नहीं बनाया है। उनकी जगह पर खीरू महतो को पार्टी ने राज्यसभा पहुंचाया है।

आरसीपी की एक मात्र उम्मीद नीतीश

वहीं, कहा यह भी जाता है कि पार्टी में आरसीपी सिंह की स्थिति पहले से कमजोर हुई है, क्योंकि अध्यक्ष ललन सिंह उनको पसंद नहीं करते हैं। साथ ही उनके खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं। ऐसे में जदयू के अंदर आरसीपी की एक मात्र उम्मीद नीतीश कुमार हैं। यदि नीतीश कुमार कृपा पात्र नहीं रहे तो आरसीपी घर बैठेंगे या फिर राजनीति में रहेंगे यह कहना थोड़ा कठिन होगा।

बहरहाल, देखना यह है कि कल यानी 7 जलाई को आरसीपी खुद के लिए क्या निर्णय लेते हैं वो खुद से अपना इस्तीफा देते हैं या फिर अगले 6 महीनों तक मंत्री पद पर बने रहते हैं और इस अवधि से पूर्व ऐन केन प्रकारेन अपनी सदस्यता बना लेते हैं।