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परिषद् चुनाव को लेकर NDA में 50-50 पर बनी सहमति, सहनी और मांझी को नहीं मिल रही तरजीह

पटना : बिहार में स्थानीय निकाय में 24 सीटों पर बिहार विधान परिषद का चुनाव होना है। इस चुनाव को लेकर एनडीए के अंदर थोड़ी खटपट शुरू हो गई थी। इस खटपट की मुख्य वजह यह थी कि भाजपा ने कहा कि वह 13 सीटों पर चुनाव मैदान में होगी,जबकि जदयू का कहना था कि 50-50 फॉर्मूले के साथ मैदान में उतरे। जिसके बाद बिहार एनडीए में शामिल दो बड़े दलों के बीच थोड़ी मनमुटाव देखने को मिल रहा था जो कि अब शांत हो गया है और विधान परिषद चुनाव को लेकर एनडीए ने अपना फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है।

इस सीट को लेकर फंस रहा था पेंच

दरअसल, भाजपा और जेडीयू के बीच स्थानीय निकाय कोटे से परिषद की 24 सीटों पर मुख्य रूप से एक सीट को लेकर पेंच फंसा हुआ था इस सीट पर जदयू अपना उम्मीदवार देना चाहती है, जबकि भाजपा का कहना है कि वह उसका सीटिंग सीट वह इस सीट को कैसे छोड़ दें, लेकिन अब भाजपा आलाकमान और जदयू आलाकमान के बीच हुई बैठक के बाद लगभग इस बात पर मुहर लग गई है कि जेडीयू और भाजपा विधान परिषद चुनाव में बराबर भागीदारी पर चुनाव लड़ेंगे। यानि की 24 सीटों में से 12 सीट भाजपा के खाते में होगी और 12 सीट जदयू के खाते में होगी।हालांकि, इसका आधिकारिक ऐलान के लिए पार्टी के प्रभारी भूपेंद्र यादव के पटना आने का इंतजार हो रहा है। आगमी 26 जनवरी के बाद भूपेंद्र यादव पटना आएंगे और वे जदयू के के साथ मिलकर इस बात की अधिकारिक घोषणा करेंगे।

जदयू पहले दिन से ही करता रहा 50:50 फार्मूला का मांग

जानकारी हो कि, विधान परिषद चुनाव को लेकर जदयू पहले ही दिन से 50:50 का फार्मूला अपनाने की मांग करता रहा है। इसके लिए पार्टी की तरफ से बातचीत की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय कुमार चौधरी को दी गई थी। हालांकि, विजय कुमार चौधरी ने अधिकारिक तौर पर सीट बंटवारे को लेकर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा है।लेकिन, सोमवार को उन्होंने इतना जरूर कहा कि हमारी बातचीत अंतिम दौर में हैं और सहमति बन चुकी है। विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जल्द ही हम संयुक्त रूप से इसकी घोषणा कर देंगे।

सहयोगी पर कैसे ध्यान देगी जदयू – भाजपा

वहीं, दूसरी तरफ सबसे दिलचस्प बात यह है कि, बिहार एनडीए में सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने भी बिहार विधान परिषद चुनाव में सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी की 50-50 फॉर्मूले पर तैयार जदयू और भाजपा उनको। कैसे साथ लेकर चलती है। वहीं, इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी भी अपनी पार्टी के लिए 2 सीटों की मांग कर रहे हैं। जबकि इस लड़ाई में लोजपा से अलग हुए केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी का नाम भी सामने आ रहा है। ऐसे में यह 50- 50 किस कदर सफल होगा, यह देखना सही में दिलचस्प होगा।

वहीं, राजनितिक जानकर बताते हैं कि, इस फार्मूले से जदयू फायदे में हैं, जबकि भाजपा को अपने सीटिंग सीट को भी छोड़ना पड़ रहा है। वैसे भी वर्तमान में जदयू के सेटिंग विधायकों की संख्या 10 से कम है। वहीं, भाजपा के पास कुल 13 सीटिंग एमएलसी है। ऐसे में 50-50 फॉर्मूले पर एक सीटिंग एमएलसी का पत्ता तो यहीं कटता दिख रहा है।

बहरहाल, देखना यह है कि, फिलहाल बिहार एनडीए के अंदर उठी घमासान पर तो इस फार्मूले से रोक लग सकती है, लेकिन सीटों और एलान के बाद जिनका पत्ता कटता है, क्या वह शांत बैठते हैं, या फिर उनके तरफ से कोई पार्टी के पक्ष वाला बयान सामने आता है। क्योंकि वह यदि पार्टी के विरोध में बोलते हैं तो।चुनाव में इसके प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलेंगे जिसका नुकसान पूरे गठबंधन को उठाना होगा।