42वां स्थापना दिवस : दिल्ली नहीं बंगाल में हुआ था भाजपा का जन्म

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भाजपा आज अपना 42वां स्‍थापना दिवस मना रही है। विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में कैसे आयी? भाजपा का कोई कार्यकर्ता या पत्रकार इस प्रश्न के उत्तर में यही कहेंगे कि भाजपा, भारतीय जनसंघ नामक राजनीतिक दल का नया नाम है। भारतीय जनसंघ की स्थापना 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई थी। लेकिन, यह बात सत्य नहीं है। सच्चाई कुछ और ही है। भारतीय जनसंघ नाम के राजनीतिक संगठन का जन्म 1951 में कोलकाता में हुआ था। वहीं उसकी स्थापना की घोषणा 21 अक्टूबर को दिल्ली में हुई थी।

कोलकाता में जिस जगह वर्तमान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का जन्म हुआ था। वह है कोलकाता का विधान सारणी यानी विधान मार्ग स्थित 26 नम्बर की कोठी। इस स्थान को अब लोग सिवानी मार्केट भी कहते हैं। इस पुराने मकान से मात्र 200 मीटर की दूरी पर ही स्वामी विवेकानंद का जन्म स्थान है। इस पुराने मकान में 1939 के पूर्व से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यालय चलता रहा है।

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कैसा है कार्यालय, जहाँ हुआ था भाजपा का जन्म

लकड़ी के बने घुमावदार सीढ़ियों से जब इस मकान के सबसे उपर के तल्ले को देखते हैं तो यह साफ-सुथरा एवं सलीके से सुव्यवस्थित स्थान मिलता है। यह मकान संघ के सभी संघचालकों का आवास रहा है। यही से एकीकृत बंगाल व पूर्वी भाारत के सभी राज्य में संघ की गतिविधि व काय्रक्रमों का संचालन होता था। यह संघ का पूर्वी भारत का क्षेत्र कार्यालय था। यह छोटा सा कमरा डाक्टर साहब व श्रीगुरुजी से लेकर अब तक के सभी सरसंघचालकों का आवास रहा है। इस कमरे के ठीक बगल में स्थित इस हाल में संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरु जी के समक्ष डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे वरिष्ठ स्वयंसेवकों ने राजनीतिक संगठन की निर्माण का संकल्प लिया था तथा इसी कमरे में उस संगठन का नाम भारतीय जनसंघ तय किया गया था। इस प्रकार यह स्थान भाजपा का जन्म स्थान हुआ।

बंगाल की धरती से ही कांग्रेस के विकल्प के रूप में शुरू हुआ जनसंघ

इस मकान में ही एक और हॉल है जो पुस्तकालय जैसा दिखता है। इसी हॉल में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने मुम्बई के बाद कोलकाता के बुद्धिजीवियों व लोगों के बीच एकात्ममानव दर्शन पर व्याख्यान देकर जनसंघ के वैचारिक अधिष्ठान को पुस्तुत किया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राजनीतिक रूप से जागरूक बंगाल में पहली बार यहीं से कांग्रेस के विकल्प के रूप में जनसंघ को खड़ा करने की अपनी अभियान यात्रा की शुरूआत की थी।

जहां रखी है भाारत माता की प्रथम चित्र

स्थापना के कुछ माह बाद ही पहले ही चुनाव में दो लोकसभा की सीटें जीतकर जनसंघ ने अपनी मजबूती का प्रमाण दे दिया था। मकान के एक कमरे में गुरूजी के समय से ही एक चित्र लगा हुआ है। यह भाारत माता की प्रथम चित्र है, जिसे देवेन्द्र नाथ टैगोर ने बंगभंग आंदोलन के समय 1905 में बनाया था। चार भुजाओं वाली भारत माता के एक हाथ में धान की बाली है, तो दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में वस्त्र तो चैथे हाथ में माला जो कि भारत के अध्यात्म के प्रतीक है।

आपात काल के कारण उत्पन्न स्थितियों से निबटने के लिए 1951 में गठित जनसंघ को अपने मौलिक पहचान को दरकिनार करना पड़ा। बाद में 6 अप्रैल, 1980 को जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी नाम से अपनी पार्टी का काम फिर से शुरू किया। इस प्रकार यह स्थान भाजपा का जन्म स्थान है।

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