4 वर्षों से पेंशन बंद, मनेर के 200 बूढ़े हांफते—खांसते खा रहे धक्का
पटना : जैसे-जैसे आप बूढ़े होते जाएंगे, आवश्यकताएं बढ़ती जाएंगी और दवाएं कुछ अधिक ही खानी पड़ेंगी। ऐसे में यदि उम्र बढ़ने के साथ आपकी पेंशन घटने नहीं, बल्कि पूरी तरह बंद हो जाए तो आप अपना माथा फोड़ने के सिवा और कर भी क्या सकते हैं? ऐसा ही कुछ नजारा मनेर पंचायत के सिंघाड़ा पंचायत में आम हो चला है।
मनेर के सिंघाड़ा पंचायत में वृद्वावस्था पेंशन बंद
गुरूवार को करीब सिंघाड़ा पंचाय के तीन दर्जन पेंशनार्थियों की सचिवालय स्थित लोक शिकायत निवारण केन्द्र में भीड़ लगी हुई थी। किसी बूढ़े के दांत नहीं, कोई हांफ रहा है, तो कोई मरनासन्न-सा दिख रहा है। सचिवालयकर्मी हक्के-बक्के-से सबको देख रहे हैं। पूछने पर पता चला कि सिंघाड़ा पंचायत के वृद्वावस्था पेंशनधारियों की पेंशन पिछले चार वर्षों से बंद है।
सचिवालय लोक शिकायत केन्द्र में दी अर्जी
अजब-गजब-सी दशा में कुछ बूढ़ी औरतों ने बताया कि पहले उन्हें पेंशन मिलती थी। अब बंद है। दवा नहीं है। बेटा परदेश गया है। कोई देखने वाला भी नहीं। कम-से-कम इन पेंशनों से दवा-दारू तो चल जाती थी। अब बंद पड़ी है।
आगे यह भी बताया कि मनेर प्रखण्ड में कोई सुनने वाला नहीं, दानापुर लोक शिकायत निवारण केन्द्र ने भी शिकायत दर्ज नहीं की। कोई लाभ नहीं। अब पटना आये हैं। पंचायत के वार्ड सदस्य नगीना राय ने बताया कि दुखित पासवान, राम बिहारी पासवान, देव बिहारी पासवान, लक्षमिनिया देवी, रामजन्म पासवान, शकुंतला देवी, मनोहर रजक, वसंत राम, रामती देची, नाथुन राम, ढोलन नर, लक्षमण पासवान, समित्रा देवी सहित कई दर्जन लोग यहां लोक शिकायत निवारण केन्द्र का दरवाजा खटखटाने आये हैं।
नगीना राय ने बताया कि जब से नया मुखिया चुन कर आये हैं, तब से सबकी पेंशन बंद है। मुखिया कुछ सुनने को तैयार ही नहीं होेते। राय ने बताया कि पहले पेंशन नियमित तो नहीं, पर मिल जाती थी। अब बंद पड़ी है। कोई सुनने वाला ही नहीं है।