नयी दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा के 40 में से 32 किसान संगठन अब किसानों के आंदोलन को समाप्त कर घर लौटना चाह रहे हैं। महज टिकैत और चढ़ूनी गुट ही इधर—उधर कर रहा है। इसे देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की आज एक दिसंबर को अहम बैठक हो रही है जिसके बाद संभवत: आंदोलन वापसी का ऐलान कर दिया जाएगा।
टिकैत—चढ़ूनी कर रहे इधर—उधर
19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृषि कानून वापसी के ऐलान के बाद से ही आंदोलन दो धड़ों में बंट गया। एक तरफ आंदोलन की तुरंत वापसी चाहने वाले 32 किसान संगठन तो दूसरी तरफ राकेश टिकैत, गुरुनाम सिंह चढूनी और दर्शन पाल जैसे नेताओं के गुट। सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार दोनों पक्षों के बीच बैठक में कोई सर्वसम्मति बनती नहीं दिख रही और इनके बीच दरार और चौड़ी होने की संभावना है।
अग्रिम पंक्ति के किसान लौटने को तैयार
आंदोलन समाप्ति चाहने वाले किसान वही हैं जो दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर टेंटों में डटे हुए थे। इन्हें सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी से मतलब था। उनके लिए अब किसान आंदोलन जारी रखने का कोई मतलब नहीं रहा। कानून वापसी के बाद धरना-प्रदर्शन की कष्टप्रद जिंदगी जीने और खेती-बाड़ी तथा परिवार से दूर रहने के पीछे कोई वजह नहीं रह गई है। उनके अंदर यह सवाल भी उठ रहा है कि आंदोलन का मकसद पूरा हो गया तो टिकैत, चढूनी, पाल जैसे नेता आखिर सरकार के साथ संघर्ष जारी रखना क्यों चाहते हैं?
कैप्टन अमरिंदर के समझाने पर किसान माने
इधर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर ने भी किसानों की मनोदशा को भांपने में देर नहीं लगाई। पीएम की घोषणा के बाद से उन्होंने विभिन्न किसान संगठनों को संदेश भेजना जारी कर दिया। जब किसानों ने घर वापसी की इच्छा बताई तब कैप्टन ने उन्हें समझाया कि कुछ लोग उन्हें कुछ अन्य मांगों के बहाने अपनी राजनीति चमकाने के लिए रोकने की जुगत में हैं। वे इस मसले पर हरियाणा सीएम खट्टर से भी मिले और वहां किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करवाई। पंजाब ने पहले ही कह दिया है कि मारे गए किसानों को सरकार मुआवजा देगी। MSP के लिए भी कमिटी गठन की घोषणा हो चुकी है। कैप्टन की बातों का किसानों पर गहरा असर हुआ और उन्होंने घर वापसी के लिए अपना बोरिया-बिस्तरा भी समेट लिया।