पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तीर का जवाब नहीं। अभी उन्होंने एक मसले पर ऐसा तीर चलाया है कि पक्ष-विपक्ष दोनों खुश हो गये। विधायकों का तो बम-बम हो गया और विधान पार्षदों की भी जय-जय हो गयी।
ये वर्षों से अधिग्रहित भूमि के विवाद को लेकर राजीवनगर का मसला है। वहां सरकार ने करीब तीन दशक पूर्व ही 16,00 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया। लेकिन, किसानों को मुआवजा राशि नहीं मिली। नतीजा, किसान एक ओर कोर्ट में चले गये तो दूसरी ओर अपनी भूमि पर आर्थिक गतिविधियां संचालित करते रहे। इसमें कब्जा वगैरह भी हुआ। कई बार भूमि को लेकर गोलियां चलीं और दर्जन भर लोग मारे भी गये।
मामला राजीवनगर में विधायक -मंत्री को भूमि आवंटन का
अतिक्रमण को मुक्त कराने कई बार पुलिस गयी लेकिन हिंसक विवाद के बाद बिना परिणाम के ही वापस लौटती रही। अव्वल, तो यह कि विवाद जब कभी बढ़ कर फैलता था तो राजनीतिक दल के लोग मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव के पास जाते रहे। उधर, पूरब दिशा में करीब 1000 एकड़ भूमि पर लोगों ने जबरन कब्जा कर भवन भी बना लिये। उनमें आईपीएस, आईएएस,जजेज तथा विधायक, मंत्री व बड़े अधिकारी भी हैं। पिछले वर्ष सरकार ने जब अतिक्रमित भूमि की मुक्ति के लिए पुलिस को भेजा तो हिंसक झड़प तीव्र हो गयी। पुलिस जिप्सी में आग लगा दी गयी। लाठियां चलीं। वाटर कैनन भी। बावजूद अतिक्रमण बरकरार रहा।
इधर, सरकार विधायक-मंत्रियों के लिए अत्याधुनिक शैली की बिल्डिंग भी तैयार कर रही है और उधर राजीवनगर की जमीन भी प्रति विधायक दो कठा आवंटित कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि ऐसा इसलिए कि राजीवनगर में बसे लोगों को राजनीतिक संरक्षण नहीं मिले।