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1971: ढाका के इस काली मंदिर को पाकियों ने दिया था तोड़, कल राष्ट्रपति कोविंद करेंगे उद्घाटन

नयी दिल्ली : 50 वर्ष पूर्व आज ही के दिन 1971 में भारत ने पाकिस्तान को वह दर्द दिया जो उसे अभी भी जबर्दस्त चुभता है। लेकिन इस दौरान कायर पाकियों ने सरेंडर से पहले ढाका के ऐतिहासिक रमना काली मंदिर को तहस—नहस कर दिया। अब भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कल 17 दिसंबर को इस मंदिर का जिर्णोद्धार के बाद उद्घाटन करेंगे। मंदिर को 1971 में लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सेना ने तोड़ दिया था।

रमना काली मंदिर का हजारों वर्ष पुराना इतिहास

ढाका के रमना काली मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। इसे मुगल काल में कुछ संरक्षण मिला। तब इसे ‘काली बाड़ी’ भी कहा जाता था। लेकिन मंदिर वास्तविक स्वरूप में 1889 में रानी विलासमोनी देवी के द्वारा लाया गया। तब वहां राजा राजेंद्र नारायण की छोटी सी रियासत का शासन था। नेपाली दस्तावेजों में इस मंदिर को हजारों वर्ष पूर्व हिमालय से वहां गए काली भक्तों द्वारा बनवाने की बात कही गयी है। फिलहाल रमना काली मंदिर ढाका के पुराने रेसकोर्स के बगल में तथा रमना पार्क से सटा हुआ बना है।

आपरेशन सर्चलाइट में कर दिया तहस-नहस

1971 में पाकिस्तानी सेना ने ढाका में अपने आपरेशन सर्चलाइट के दौरान इस काली मंदिर को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। हालांकि पाकिस्तानी सेना ने कुछ ही देर बाद भारत के सामने आत्समर्पण भी कर दिया और बांग्लादेश पाकिस्तान से पूरी तरह आज़ाद हो गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 17 दिसंबर को फिर से बनाए गए श्री रमना काली मंदिर का उद्घाटन करेंगे।

यह पल दोनों देशों के लिए भावुक करने वाला

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने विदेश मंत्रालय की साइट पर बताया कि यह पल भारत और बांग्लादेश, दोनों देशों के लिए भावुक करने वाला है। जानकारी हो कि मुस्लिम बहुल बांग्लादेश की कुल 17 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की संख्या 10 फीसदी है। वहां हिंदुओं और उनसे जुड़ी संस्थाओं पर हुए हालिया हमलों के बीच यह सुखद मौका कन्फ्यूजन मिटाने वाला है।