पटना : बिहार विधानसभा में सोमवार को चमकी बुखार पर लाए गए कार्यस्थगन प्रस्ताव पर सरकार का पक्ष रखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि 154 बच्चों की जान लेने वाली बीमारी का कोई नाम नहीं है। बल्कि यह कई बीमारियों का समूह है, जिसके प्रारंभिक लक्षण एक समान होते हैं। इसके बारे में पहली बार 1995 में पाता चला। मंगल पांडेय ने सदन को बताया कि इस वर्ष 5 जून के बाद यह बीमारी तेजी से फैलने लगी। बीमारी के तेजी से फैलने की सूचना मिलते ही सरकार सक्रिय हो गयी। इधर सदन में स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे विपक्ष ने उनके पक्ष को सुनने के बदले कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। फिर जब मुख्यमंत्री का भाषण शुरू हुआ, तब विपक्षी सदस्य फिर से अपने आसन पर लौटे।
सरकार ने अब तक क्या किया, एक—एक कर बताया
इसबीच विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री ने अपना भाषण जारी रखा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जनवरी एवं मार्च में इस बीमारी से 1, अप्रैल में 4, मई में 8 एवं 5 जून तक 9 बच्चों की मौत हो गयी थी। 5 जून के बाद स्थित जब नियंत्रण से बाहर होने लगी तब मंत्री मंगल पांडेय ने स्वयं 8 जून को मुजफ्फरपुर जाकर एसकेएमसीएच में उपचार व्यवस्था की समीक्षा की। इसके बाद 9 जून रविवार को विभाग के प्रधान सचिव ने पूरी व्यवस्था की समीक्षा की। मंत्री पांडेय ने तिथिवार सरकार की ओर से किए गए कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सदन को बताया कि 28 जून 2019 तक कुल चमकी बुखार से ग्रसित 720 मरीज पंजीकृत हुए जिसमें से 154 को बचाया नहीं जा सका। वहीं 566 बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर लौट गए।