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15 को ही मनेगी संक्रांति, जानें कब है सर्वार्थ सिद्धि योग?

पटना : मकर संक्रांति का पर्व भारत के विभिन्न राज्यों में अलग—अलग नाम से मनायी जाती है। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। त्योहारों में मकर संक्रांति अकेला ऐसा पर्व है जो सूर्य की गणना पर आधारित है। जबकि शेष सभी पर्व-त्योहार हम चन्द्र की गणना से मनाते हैं। आज मध्य रात्रि 2ः19 बजे के बाद सूर्य का संक्रमण होने से मंगलवार को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। उदया तिथि के अनुसार 15 जनवरी पूरे दिना स्नान-दान के लिए शुभ रहेगा। इस पर्व पर किया गया दान सौ गुणा होकर दानदाता को प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य की प्रकृति उत्तरायण हो जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार दक्षिणायन को देवताओं की रात यानि नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन यानि सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। अतः इस दिन दान, पुण्य का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति का वाहन सिंह, उपवाहन अश्व उत्तर दिशा से आगमन करके 15 जनवरी को मध्य रात्रि से सूर्यास्त तक रहेगा। इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र से मिलने स्वयं उनके घर जाया करते हैं। शनि देव चूंकि मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए भी इसको मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं। फलतः इस दिन खिचड़ी के भोग का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य को अर्ध देना अति शुभ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन ही महर्षि प्रवहण को प्रयाग के तट पर गंगा से सूर्य भगवान के पांच अमृत तत्वों की प्राप्ति हुई थी।