नयी दिल्ली : भारत त्योहारों का देश है। खास बात यह है कि यहां प्रत्येक पर्व का अपना विशिष्ट महत्व भी है। यहां साल की शुरुआत के साथ ही मनाया जाने वाला पहला महत्वपूर्ण त्योहार मकर संक्राति है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे ‘खिचड़ी’ या ‘तिलसंक्रांति’ के नाम से जाना जाता है। पौष मास में जब भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब इस पर्व को मनाया जाता है। बिहार के मिथिलांचल में खिचड़ी मनाने की सदियों पुरानी परंपरा रही है जिसमें लोग न केवल सुबह उठकर स्नान-ध्यान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं, बल्कि लोगों को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें खिचड़ी भी खिलाते हैं।
दिल्ली की सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था ‘मिथिलालोक फाउण्डेशन’ ने इस वर्ष अगामी 15 जनवरी को ‘खिचड़ी दिवस’ मनाने का निर्णय किया है। इसमें मिथिला संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ ही खिचड़ी को एक ‘मॉडर्न डिश’ के रूप में प्रस्तुत करते हुए ‘खिचड़ी पे चर्चा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए फाउण्डेशन के चेयरमैन डा. बीरबल झा ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में ‘खिचड़ी’ का महत्व बढ़ गया है क्योंकि इसका एक प्रतीकात्मक संकेत समन्वय और सामंजस्य के रूप में भी दिखाई देता है। माना जाता है कि संक्रांति के स्नान के बाद पृथ्वी पर फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है तो क्यों न हम भी इसी संकल्प के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हुए इसे मनाएं।
उल्लेखनीय है कि ‘खिचड़ी पे चर्चा’ कार्यक्रम के प्रायोजकों में अंग्रेजी सिखाने वाली संस्था ‘ लिंग्वा परिवार’ भी शामिल है। कार्यक्रम का समय संध्या 5 से 7 बजे तक रखा गया है।
कार्यक्रम की रूपरेखा :
‘खिचड़ी पे चर्चा’
दिनांकः 15 जनवरी,
समयः संघ्या 5-7बजे।
स्थानः लिंग्वा परिवार
1/48, Lalita Park, Laxmi Nagar, Delhi-110092
प्रेषक : डा बीरबल झा
9810912220