पीएम को खत लिखने वाले 100 पूर्व नौकरशाहों को 197 पूर्व जजों-अफसरों की लताड़, हताशा बेकार क्योंकि जनता मोदी के साथ
नयी दिल्ली : हाल में देश के 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें ‘नफरत की राजनीति’ का जिक्र किया गया था। खत में बीजेपी शासित राज्यों इस तरह की राजनीति ज्यादा होने की बात कही गई। अब इन पूर्व नौकरशाहों को देश के 197 पूर्व जजों और अफसरों ने करारा जवाब दिया। उनके खत को इन पूर्व जजों और अफसरों ने पूरी तरह हताशा में लिखा गया करार दिया।
पीएम को खुला खत लिखा था, अब खुली पोल
पीएम मोदी को खत लिखने वाले नौकरशाहों की पोल खोलते हुए इन पूर्व जजों और अफसरों ने कहा कि यह तथाकथित 100 पूर्व नौकरशाहों का स्वयंभू कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप यानी सीसीजी ग्रुप इस समय काफी हताशा के दौर में है। पीएम की नीतियों की देश—विदेश में सफलता ये पचा नहीं पा रहे। उनके द्वारा पीएम मोदी को जो खुला खत लिखा गया है, वह उनकी उस हताशा का नतीजा है, जो हाल के 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी के प्रति भारत की आम जनता ने उनकी नीतियों से एकजुटता दिखाते हुए व्यक्त किया है।
मोदी विरोध ध्यान खींचने की तुच्छ प्रवृति
यह भी कहा गया कि सीसीजी ग्रुप का पीएम को पत्र ऐसे लोगों द्वारा खुद को सामाजिक उद्देश्य की उच्च भावना वाले नागरिकों के रूप में ध्यान आकर्षित करने के लिए बार-बार किया जाने वाला एक तुच्छ प्रयास मात्र है। जबकि वास्तविकता यह है कि यह मोदी सरकार विरोधी राजनीतिक का एक अभियान है जो यह मानता है कि वह सत्तारूढ़ व्यवस्था के खिलाफ जनता की राय को आकार दे सकता है।
बीजेपी राज्यों का जिक्र मगर बंगाल पर चुप्पी
पीएम को खुला खत लिखने वाले सीसीजी ग्रुप को जवाब देने वाले 197 पूर्व जजों—अफसरों में 8 रिटायर्ड जज, 97 रिटायर्ड नौकरशाह और 92 रिटायर्ड सशस्त्र बलों के अफसर शामिल हैं। इन्होंने सीसीजी ग्रुप पर अपने पत्र में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद हिंसा की घटनाओं पर चुप्पी साधने पर भी सवाल उठाया। कहा गया कि इन लोगों ने नफरत की राजनीति पर भाजपा शासित राज्यों का जिक्र तो किया लेकिन प. बंगाल की हिंसा और पंजाब तथा अन्य जगहों पर एंटी भारत गतिविधियों पर आंख मूंद ली। यह मुद्दों पर उनके निंदक और गैर-सैद्धांतिक दृष्टिकोण को उजागर करता है।