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10 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ नवरात्र शुरू, जानिए कब है शुभ मुहूर्त?

नव शक्तियों से युक्त शक्ति उपासना का पर्व नवरात्र 10 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है। इसमें देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्रि के दसवें दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। 10 अक्टूबर दिन बुधवार को चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग में शरदीय नवयात्रा प्रारंभ हो रही है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6ः55 से प्रारंभ है तथा अभिजित मुहूर्त दोपहर 11.36 बजे से 12.24 बजे तक है। इस मुहूर्त में स्थापना का विषेष महत्त्व होता है। इस बार मां दुर्गा नाव पर आएंगी तथा हाथी पर जाएंगी जो कि दोनों ही शुभ है।
प्रथम शैल पुत्री:- मां भगवती की नौ रूपों में जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं, इनमें से प्रथम रूप शैल पुत्री के नाम से जाना जाता है। गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती को ही शैल पुत्री कहा जाता है। हिमालय की तपस्या व प्रार्थना से भगवती ने हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था जिस कारण इन्हें शैल पुत्री कहा गया है।
इस साल शरद नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में मां जगदम्बे के नाव पर आगमन से शुरू हो रहा है। इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि एक साथ होने से मां शैलपुत्री और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक दिन होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 10 अक्टूबर को प्रतिपदा और द्वितीया माना जा रहा है। पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है। दो दिन पंचमी रहने से मां स्कंदमाता की दो दिन पूजा की जाएगी।

नाव पर आएंगी माता शेरांवाली

शारदीय नवरात्रि 2018 में मां दुर्गा का आगमन नाव से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी। बंगला पंचांग के अनुसार, देवी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और डोली पर विदा होंगी।
घट स्थापना: सिर्फ एक घंटा दो मिनट
इस बार नवरात्रि घट-स्थापना के लिए बहुत ही कम समय प्राप्त हो रहा है। केवल एक घंटा दो मिनट के अंदर ही घट स्थापना की जा सकती है अन्यथा प्रतिपदा के स्थान पर द्वितीया को घट स्थापना होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा। पहली बार नवरात्र की घट स्थापना के लिए काफी कम समय मिल रहा है। यदि प्रतिपदा के दिन ही घट स्थापना करनी है तो आपको केवल एक घंटा दो मिनट मिलेंगे। सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी। कम समय के लिए प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है।

10 अक्तूबर- प्रात: 6.22 से 7.25 मिनट तक रहेगा ( यह समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है।)
मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है। 7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा।