शाह के बयान पर नीतीश की अलग राय,कहा – कोई भी कैसे बदल देंगे इतिहास
पटना : भारत के इतिहास को वापस से लिखने की चर्चा इन दिनों राजनीतिक गलियारों में काफी जोर पकड़ रखी है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है तब से यह मामला और तूल पकड़ लिया है। इसी बीच अब बिहार और केंद्र सरकार में लंबे अर्से से सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। जदयू का मानना है कि अमित शाह द्वारा जो बात कही जा रही है वह सार्थक नहीं है।
दरअसल, जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब इसको लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इतिहास को फिर से लिखने की क्या जरूरत है? इतिहास जो है, वह है। उसे कोई कैसे बदल सकता है।
देश में इतिहासकारों ने मुगलों के इतिहास को ज्यादा तवज्जो दी
मालुम हो कि, इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश में इतिहासकारों ने मुगलों के इतिहास को ज्यादा तवज्जो दी। देश के राजवंशों, राजा-महाराजाओं को इतिहासकारों ने उतनी तरजीह नहीं दी जितनी दी जानी चाहिए थी। जिसके बाद अमित शाह के इस बयान पर नीतीश कुमार से जब प्रतिक्रिया ली गई तो मुख्यमंत्री ने हंसते हुए कहा-मेरी समझ में यह बात नहीं आ रही है कि कोई मौलिक इतिहास को कैसे बदल सकता है? हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि भाषा का मामला अलग है, लेकिन इतिहास तो इतिहास है।
इधर, उस पूरे मामले पर जानकारों की मानें तो यह पहला मामला नहीं है जब जदयू भाजपा से अलग विचार रखती हो। जदयू के नेता और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने तरीके से अपनी बात रखते रहे हैं। चाहे वह मामला समान नागरिक संहिता का हो या फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून का, जदयू ने इन मसलों पर खुद को अलग रखा है।
बहरहाल, नीतीश कुमार ने इशारों ही इशारों में अमित शाह की बातें खारिज कर एक तरह से बीजेपी और अपने आलोचकों को ये संदेश भी दे दिया कि वे अपने सहयोगी की हर बात से हां में हां मिलाने वाले नहीं हैं।