विश्वविद्यालयों में हो रहे भ्रष्टाचार के बाद सरकार की खुली नींद, महालेखाकार को लिखा पत्र, एजी ऑफिस से जांच कराने की मांग

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पटना : बिहार के विश्वविद्यालयों में हो रहे भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद राजभवन ने चुप्पी साध ली है। लेकिन, वहीं राज्य सरकार पूरी तरह एक्शन मोड में आ गई है। अब इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने महालेखाकार को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र लिखकर मांग की है कि राज्य के सभी विश्विद्यालयों में सरकार के द्वारा दी गई राशि का ऑडिट कराया जाए, जिससे सदुपयोग और दुरुपयोग का पता चल सके।

जानकारी हो कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, मगध विश्विद्यालय, आर्यभट्ट विश्विद्यालय और मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय में अबतक कई मामलों में बहुत सी गड़बड़ी को उजागर किया गया है, जिसके बाद कुलपतियों की कार्यशैली और उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का मामला राजभवन के साथ सरकार तक पहुंचा है लेकिन इन मामलों में अभी तक राजभवन के तरफ से कोई उचित कार्यवाही नहीं की गई है।

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इसके विपरित राजभवन द्वारा मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेन्द्र प्रसाद जिन पर 30 करोड़ का गबन का आरोप लगा और लगातार विजिलेंस जांच भी चल रही है उनको 40 दिनों की मेडिकल छुट्टी दी गई है।

वीसी एसपी सिंह पर भी वित्तीय अनियमितता के कई गंभीर आरोप

इसके साथ ही मुख्य रूप से एलएनएमयू के वीसी एसपी सिंह जो एक साथ कई विश्विद्यालयों के प्रभार में हैं, इन पर भी वित्तीय अनियमितता के कई गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन अभी तक इन पर भी कोई करवाई नहीं की गई है। जिसके बाद अब शिक्षा विभाग अपने स्तर से प्रयास में है कि वित्तीय अनियमितता की जांच एजी ऑफिस भी करें।

गौरतलब है कि वेतन, अनुदान,मानदेय और विकास के मद में विश्विद्यालयों को राज्य सरकार भी राशि मुहैया करवाती है लेकिन पिछले कई वर्षों से सरकारी राशि का ऑडिट नहीं हुआ है। ऐसे में सरकारी राशि के साथ इंटरनल फंड की जांच के बाद खुलासा हो सकेगा कि विश्वविद्यालयों में राशि का सही उपयोग हुआ या वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।

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