भारतीय विज्ञान परंपरा को रेखांकित करता है ‘भविष्यत’
पटना : लेखक अभिलाष दत्त के उपन्यास ‘भविष्यत’ का ऑनलाइन विमोचन रविवार को किया गया। पुस्तक का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथ प्रो. अनिता राकेश ने कहा कि ‘भविष्यत’ ऊपरी तौर भले ही फंतासी है। लेकिन, जब इसके अंतर्निहित आयामों को देखेंगे, तो इस पुस्तक में भारतीय विज्ञान परंपरा नजर आती है। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने मनोविज्ञान, पराविज्ञान, सिद्धयोग, सहजयोग, चिकित्साशास्त्र, स्वप्न विज्ञान के पहलुओं को सरल व रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।
प्रो. अनीता ने कहा कि युवा लेखक ने इतने गूढ़ विषयों को सरल तरीके से पेश किया है, इसके लिए लेखक की प्रशंसा होनी चाहिए।
विमोचन के अवसर पर समारोह के मुख्य वक्ता फिल्मकार प्रशांत रंजन ने कहा कि अभिलाष दत्त का उपन्यास ‘भविष्यत’ फंतासी( फैंटसी) कैटगरी का होते हुए भी जीवन की कई सच्चाई से रुबरु कराता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य द्वारा प्रकृति पर किए जा रहे अत्याचार के प्रति ‘भविष्यत’ अगाह करता है। इस पुस्तक की पृष्ठभूमि ब्रह्मांड और उसकी सुपरनैचुरल शक्तियों के बारे में हैं। इसके साथ ही लेखक ने पृथ्वी पर व्याप्त प्रदूषण और मानव के लोभ के कारण नष्ट हो रही प्राकृतिक संपदा का भी प्रभावी चित्रण किया है। फंतासी कहानी के माध्यम से लोगों को जागरुक करने के लिए लेखक अभिलाष दत्त बधाई पात्र हैं।
‘भविष्यत’ उपन्यास के लेखक अभिलाष दत्त ने पुस्तक विमोचन को फलित करने हेतु अतिथियों के प्रति आभार जताया और कहा कि उनकी पहली पुस्तक ‘पटना वाला प्यार’ एक कथा संग्रह है, जिसे पाठकों ने भरपूर प्यार दिया है। इससे उत्साहित होकर उन्होंने तीन साल की मेहनत के बाद ‘भविष्यत’ की रचना की। ‘साइड ए साइड बी’ उनका अगला उपन्यास होगा, जिस पर अभी काम चल रहा है।