दारूबाजों ने बना डाला गजब जेनरेटर, बिजली की जगह उगल रहा शराब

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नयी दिल्ली/पटना : बिहार में मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट शराबबंदी हकीकत में तो पूरी तरह फेल हो चुका है, लेकिन इस दारू निषेध ने बिहारियों को जुगाड़ तकनीक का महारथी बना डाला। दारू की तलब वाली जरूरत और इसके धंधे से होने वाले फायदे ने धंधेबाजों को दारू लाने—ले—जाने की गजब दक्षता दे दी। यहां तक कि ऐसे—ऐसे जुगाड़ का आविष्कार दारू तस्करों ने कर डाला कि बड़े—बड़े वैज्ञानिक भी शरमा जाएं। ऐसा ही एक जुगाड़ देख कैमूर पुलिस भी भौंचक रह गई। यहां यूपी बार्डर के समीप जीटी रोड पर दुर्गावती टोल प्लाजा के निकट उन्हें एक डीसीएम ट्रक पर लदा ऐसा जेनरेटर मिला जो बिजली की जगह शराब उगल रहा था।

शराब तस्करों के दारू सिंडिकेट का खुलासा

जानकारी के अनुसार दुर्गावती टोल प्लाजा के समीप पुलिस अंतर्राज्यीय सीमा होने के चलते रूटीन चेकिंग कर रही थी। इसीबीच मुसहरी से सटे इलाके में कैमूर पुलिस को एक डीसीएम ट्रक पर लदे विशाल जेनरेटर पर शक हुआ। जब पुलिस ने ट्रक पर लदे उस जेनरेटर को चेक किया तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। दरअसल बाहर से यह जेनरेटर दिख रहा था, जबकि अंदर पूरी तर दारू की टंकी थी। पुलिस ने इस जेनरेटर से भारी मात्रा में शराब बरामद की और उसे जब्त कर लिया।

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ड्राइवर ने बताया, कैसे काम करता है रैकेट

पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह डीसीएम ट्रक दिल्ली से चला था और वह उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर जा रहा था। ड्राइवर ने खुलासा किया कि शराब भरा जेनरेटर दिल्ली में ही उसकी ट्रक पर लादा गया था और उसे मुजफ्फरपुर में डिलिवर करना था। यूपी के रहने वाले ड्राइवर को इसके लिए 10 हजार रूपए और अन्य खर्च धंधेबाजों ने दिये थे। उसने यह भी बताया कि जेनरेटर के अलावा फ्रीज, बाइक और अन्य वस्तुओं को पहुंचाने की आड़ में उनमें शराब भरकर बिहार के विभिन्न जिलों में दारू तस्करी रैकेट का वह एक मोहरा मात्र है। अन्य ड्राइवरों को भी प्रति ट्रिप मेहनताना दिया जाता है।

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