पटना : मुजफ्फरपुर में एईएस बीमारी से मर रहे बच्चों की कब्र पर जाकर अब राजनेता उसकी जाति पूछने लगे हैं। राजद ने कल ट्विटर वार करते हुए मुजफ्फरपुर की घटना पर कहा कि मरने वाले बच्चे दलित समुदाय से आते हैं। हद हो गई। मतलब, चमकी नामक रहस्यमयी बीमारी सिर्फ दलितों को ही होती है।
इस सबंध में पूछने पर राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी पार्टी के ट्विटर कमेंट का अर्थ दलित से नहीं होकर कुपोषण से है। यह पूछने पर कि जब तेजप्रताप यादव स्वास्थ्य मंत्री थे तब क्या चमकी ने बच्चों को नहीं दबोचा था? उस समय तो 200 से अधिक बच्चों को दबोचा था। तो क्या बच्चों की मौत पर राजनीति हो रही है?
त्रासदी यह कि सिस्टम पर सवाल उठाने की जगह बच्चों की मौत पर राजनीति की जाने लगी है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन पहले भी अपने मंत्रित्व काल में आकर वही बयान दिए थे, जो अभी की अपनी मुजफ्फरपुर यात्रा के दौरान उन्होंने दिए। मसलन, रिसर्च की आवश्यकता है। आधारभूत संरंचना को बढ़ाने की जरूरत है। और, बेडों को बढ़ाने की जरूरत है। फिर उन्होंने वही बयान दुहराए। अपने फेसबुक ट्वीट में भी उन्होंने वही बात लिखी। मतलब, 5 साल बाद भी केन्द्रीय मंत्री के आदेश या निर्देश पर अमल नहीं हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आज कहा कि मरने वालों में अधिकतर गरीब ही हैं। ये मुजपफरपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालने वाले हुक्मरान भी कहते हैं।
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