किसानों को बिचौलियों से बचा रही ई—मार्केटिंग

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पटना/नयी दिल्ली : देश में किसानों की सबसे बड़ी समस्या उन्हें अपने उपज का बेहतर मूल्य मिलना है। बेहतर मार्केटिंग के अभाव में उन्हें बिचौलियों का शिकार होना पड़ता है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने तीन वर्ष पहले डिजिटल मार्केटिंग की बुनियाद रखी। नतीजतन देशभर के कृषि मंडियों का ई—पोर्टल ‘एपीएमसी’ को लांच किया गया। अब इसके लाभ सामने आने लगे हैं। अभी तक देशभर में कुल 585 कृषि मंडियों को इसमें रजिस्टर्ड किया जा चुका है। इन मंडियों में इंटरनेट का उपयोग कर किसान देश में कहीं भी वाजिब दाम पर अपनी उपज बेच सकते हैंं।
किसानों के लिए केंद्र सरकार अनेकों योजनाएं लेकर आयी है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-पोर्टल) पूरे देश के किसानों के लिए ऑनलाइन मंडी है। इस बाजार में किसान अपना सामान व्यापारियों को सीधे बेच सकते हैं। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) एक पैन-इंडिया इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है जो कृषि से संबंधित उपजों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करने के लिए मौजूदा एपीएमसी (कृषिमंडी) का प्रसार है।
ई-नाम पोर्टल सभी एपीएमसी से संबंधित सूचना और सेवाओं के लिए एक ही स्थान पर सेवा प्रदान करता है। यहां किसान अपने सामान की कीमत व्यापारी से सीधे तय करता है। किसान को उसके उत्पाद की पूरी कीमत मिलती है। किसान शोषण से बचता है और उसे इधर—उधर नहीं भटकना पड़ता है। 2015 से आरम्भ इस योजना में अभी तक 585, थोक मंडियों का नामांकन हुआ है। केंद्र सरकार ने 2018—2020 तक 415 नए मंडियों को इसमें जोड़ने का लक्ष्य बनाया है और कृषि मंडियों के लिए 2000 करोड़ की राशि प्रस्तावित की है।

(राजीव राजू)

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