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Delhi

धीरज व समझ मांगती है ‘७२ हूरें’

प्रशांत रंजन फिल्म अध्येता सिनेमा अपने आरंभिक दिनों से ही मानवीय, सामाजिक, रानीतिक विचारों का संवाहक रहा है। डेविड ग्रिफिथ की ’बर्थ ऑफ़ ए नेशन’ (1915) से विचारों का फिल्मांकन जो शुरू हुआ, उसने आगे चलकर जर्मन अभिव्यक्तिवाद, इतालवी नवयथार्थवाद,…

फिल्मफेयर और फेमिना द्वारा मनोज भावुक का हुआ सम्मान

नई दिल्ली: फिल्मफेयर एवं फेमिना द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘भोजपुरी आइकॉन्स- रील एंड रीयल स्टार्स’ समारोह में भोजपुरी के जाने-माने लेखक, फिल्म समीक्षक और भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार मनोज भावुक को भोजपुरी साहित्य और सिनेमा के इतिहास पर किये…

नंदकिशोर यादव की पुस्तक ‘बुलंद आवाज’ का विमोचन, नेताओं के निशाने पर रहे नीतीश कुमार

पटना: पूर्व मंत्री व पटना सिटी से लगातार सात बार के विधायक नंदकिशोर यादव के संसदीय जीवन पर आधारित पुस्तक ‘बुलंद आवाज’ का विमोचन सोमवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, सांसद सुशील कुमार मोदी, पूर्व मंत्री नितिन नवीन…

यूसीसी: भ्रमित होने के बजाय विधि आयोग को सुझाव दें, हर हाल में होगी जनजातीय हितों की रक्षा

पटना: इन दिनों समान नागरिक संहिता के सम्बन्ध में प्रसार माध्यमों, विशेषकर सोशल मीडिया में कई तरह की बातें चल रही हैं, जिससे जन सामान्य लोग भ्रमित हो रहे हैं। जनजाति समाज भी इसका अपवाद नहीं है, कुछ निहित स्वार्थी…

कैसे मजबूत होंगे भारत-नेपाल संबंध? चुनौतियां व समाधान

प्रो. धन प्रसाद पंडित प्राध्यापक त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू भारतवर्ष और नेपाल देश का संबंध ऐतिहासिक है। यह भूभाग के निर्माण में एक ही हलचल से बना है। समान प्राकृतिक छटा, भौगोलिक बनावट के आधार पर नेपाल और भारत दोनों हिमालय…

डॉलर भूलिए, अब भारतीय रुपए की होगी चांदी, इससे होंगे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

डॉ. सोनू कुमार स्वतंत्र शोधार्थी वर्तमान में, विशेष रूप से कोविड-19 के कारण प्रेरित मंदी और पूर्वी यूरोप में पुनः उभरे भू-राजनीतिक तनाव के साथ वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था एक कठिन दौर का सामना कर रहे हैं। एशिया, अफ्रीका और…

जलवायु के अपमान से बढ़ा तापमान

एशिया-प्रशांत देशों में जलवायु परिवर्तन स्वीटी कुमारी शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग, वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा हाल ही में एक अध्ययन रिपोर्ट “द रेस टू नेट ज़ीरोः एक्सेलेरेटिंग क्लाइमेट एक्शन इन एशिया एंड द पैसिफिक“ में एशिया एवं प्रशांत के…

रामायण ‘जस्ट ए पीरियड ड्रामा’ नहीं, इसलिए खटकती है आदिपुरुष

प्रशांत रंजन भारतवर्ष के प्रतिनिधित्व के किसी एक व्यक्ति का चयन किया जाए, तो वे नि:संदेह श्रीराम होंगे। एक तरह से वे भारत के प्रतीक पुरुष हैं। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण से लेकर तुलसी बाबा रचित श्रीरामचरितमानस तक में प्रभु…

जादूगरी या साधना? क्या है पं. धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारों का रहस्य?

योगियों के चमत्कारों का गूढ़ार्थ समझे बिना किसी का आकलन उचित नहीं किशोर कुमार (लेखक वरिष्ठ पत्रकार व योग विज्ञान विश्लेषक हैं।) भारत के महान संतों और योगियों ने कभी योग विद्या की बदौलत चमत्कार दिखाए जाने का समर्थन नहीं…

घुसपैठ व मतांतरण से बदसूरत होती बिहार की जनसांख्यिकी

मिथिलेश कुमार सिंह सह कुलसचिव जीएनएस विवि, रोहतास महात्मा गांधी भोले-भाले भारतीयों को बहला फुसलाकर मतांतरण कराए जाने के सख्त खिलाफ थे। महात्मा गांधी का दर्शन इसकी कभी इजाजत नहीं देता था। उन्होंने कहा था कि मैं विश्वास नहीं कर…