वैशाली: ‘सरलमानकसंस्कृतम’ कार्यशाला का आयोजन हाजीपुर, वैशाली के औद्योगिक क्षेत्र में अवस्थित मैत्रेय कॉलेज ऑफ एजुकेशन एण्ड मैनेजमेंट, के बोधिसत्व सभागार में भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार एवं मैत्रेय कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को किया गया। कुल चार सत्रों में विभाजित इस कार्यशाला में राज्य के अलग- अलग स्थानों से आमंत्रित विद्वानों (साहित्य, संस्कृत) ने सरलतापूर्वक संस्कृत सीखने-सिखाने पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। कार्यशाला का प्रारंभ आगत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ । तत्पश्चात् प्रशिक्षु चंदा कुमारी द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुत की गई। संकाय डॉ. प्रणव कुमार तिवारी एवं प्रशिषुओ रुचिका, अंजलि, चंदा, रानी, प्रियंका ने समूह गान में सुरससुबोधा विश्वमनोज्ञा.. संस्कृत गीत प्रस्तुत किया।
कॉलेज के अकादमिक निर्देशक प्रो. ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी इस कार्यशाला के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि सरलमानक संस्कृतम् कार्यशाला में हम संस्कृत के सरल रूप को जान सकेंगे। उन्होंने कहा कि संस्कृत कम्प्यूटर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भाषा है। यदि कोई छात्र उत्सुक है, संस्कृत बोलना सीखना चाहे तो हमारे साधन सेवी उसे 15 दिनों के संभाषण-शिविर में संस्कृत यानी देवभाषा बोलना-लिखना सिखा सकते हैं।
कार्यशाला के चार सत्रों हेतु कुल चार साधन सेवी डॉ. मुकेश कुमार ओझा, विभागाध्यक्ष फिरोज गाँधी संस्कृत महाविद्यालय, पटना, श्री मारकंडेय शारदेय, पूर्व सहसंपादक ‘धर्मायण’ (महावीर मंदिर, पटना से प्रकाशित) एवं प्रसिद्ध लेखक डॉ. ज्ञानरंजन गंगेश, सहायक प्राध्यापक, सी. टी. ई, तुर्की एवं डॉ. दीप्तांशु भास्कर, संस्कृत शिक्षक, बालकृष्ण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भोजपुर आमंत्रित थे।
संरलमानकसंस्कृतम् कार्यशाला में प्रशिक्षुओं ने संस्कृत में बातचीत के सरल तरीके को सीखा। इससे पूर्व डा. मुकेश कुमार ओझा द्वारा संस्कृत की महत्ता पर प्रथम सत्र में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि संस्कृत भाषा अति सरल एवं सहज है। यह मानव कल्याण एवं विकास में सहायक है। यदि हम व्यवहार में, बोलचाल में प्रयुक्त करेंगे तो शनै:—शनै: यह सरल होती जाएगी।
द्वितीय सत्र में मारकण्डेय शारदेय जी द्वारा सरल मानक संस्कृत के स्वरूप पर चर्चा की गयी। उन्होंने कहा कि कक्षाओं में शिक्षण शैली को रुचिकर और सुबोध बनाकर हम विषय को अधिक ग्राह्य बना सकते हैं। साथ ही उन्होंने सरलमानकसंस्कृतम् के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत समृद्ध एवं प्रवाहपूर्ण भाषा है।
तृतीय सत्र में डॉ. ज्ञान रंजन गंजेश द्वारा सरल संस्कृत संभाषण के अभ्यास पर चर्चा की गई। उन्हेंनि प्रशिक्षुओं को सरलवाक्यों के द्वारा आपस में वार्तालाप करने का अभ्यास कराया। प्रशिशुओं ने बहुत ही उत्साह से अभ्यास सत्र में रुचिकर तरीके से सरल और दैनिक जीवन में प्रयुक्त होनेवाले वाक्यों को संस्कृत में बोलने का अभ्यास किया। चतुर्थ सत्र में डॉ. दीपांशु भास्कर ने सरलमानक संस्कृत के क्रियान्वयन की चर्चा करते हुए उपस्थित समूह के साथ सरल वाक्यों का उदाहरण देकर संस्कृत को सहज सीखने के गुर बताए।
कार्यशाला में डॉ. केकी कृष्ण, राज्य संघोषित वालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डॉ. महेश राय, सहयोगी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं राजू कुमार मिश्र ने भी अपने विचार रखे। आगत अतिथियों का सम्मान प्रतीक चिह्न एवं पुष्पगुच्छ देकर संकाय आनंद प्रकाश, रॉकी कुमार, सुश्री ललिता कुमारी एवं प्राचार्य डॉ. कुमार मृत्युंजय राकेश द्वारा किया गया। मंच संचालन संकाय डॉ. प्रणव कुमार तिवारी ने किया। इस अवसर पर संकाय अजय कुमार सिंह, अश्विनी कुमार मिश्र, अबोध चंद्र महतो एवं प्रशांत अमर भी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ. कुमार मृत्युंजय राकेश ने किया।