मौजूदा वक्त में हर इंसान अपने निजी कारणों से तनाव व स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य समस्याओं से काफी परेशान रहते हैं। समस्याओं से निजात पाने के लिए तमाम प्रकार के पीड़ाओं से ग्रस्त लोग योग में अपना समाधान ढूंढ रहे हैं तथा बड़ी संख्या में लोग योगाभ्यास को अपनाकर अपनी समस्याओं से छुटकारा पा रहे हैं। आइए, जानते हैं कि एक योगाभ्यासी को किस प्रकार का भोजन करना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए।
एक योगाभ्यासी के मन में सबसे बड़ा सवाल उनके आहार को लेकर होता है। जिस व्यक्ति के दिनचर्या में योग का विशेष महत्त्व है उनलोगों को नियमित मात्रा व स्वास्थ्यवर्धक आहार लेना चाहिए। योग प्रशिक्षिकों का कहना है कि एक स्वस्थ जीवन के लिए लोगों को समाहार भोजन करना चाहिए। समाहार भोजन में अंकुरित मूंग, चना, मूंगफली इत्यादि का सेवन सुबह के नाश्ते में करना चाहिए। लंच में लौकी का जूस, गाजर का जूस,ऑरेंज का जूस, शाक, हरी सब्जी, घी, दूध, दही, मक्खन, छांछ इत्यादि का सेवन करना चाहिए। रात्रि के भोजन में सबसे स्वास्थ्यवर्धक आहार जो होता है वह सलाद, फल, सब्जी, रोटी व मिठाई होती है।
एक योग विशेषज्ञ कहते हैं कि योग प्रशिक्षु को मिताहार भोजन करना चाहिए। मतलब कि जितना भोजन लेने की क्षमता है उससे कम मात्रा में भोजन का सेवन करना चाहिए तथा मसाले का उतना ही प्रयोग हो जितने में भोजन का स्वाभाविक स्वाद बना रहे, इस प्रकार के आहार का सेवन करने से योग में तेज़ी से सफलता मिलती है !
योग करने वाले व्यक्तियों को अपथ्यकारक भोजन के सेवन से बचना चाहिए। इस श्रेणी में कड़वा, तीखा, नमकीन, गरम, खट्टा, लहसून, मछली, मांस इत्यादि शामिल है। इनके सेवन से योगाभ्यासी को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है तथा उनकी योग विद्या सफल नहीं हो पाती है।
योगाभ्यासी के लिए सबसे स्वस्थ्य होता है पथ्यकारक आहार इसमें लोग गेंहूँ, चावल, जौ, दूध, घी, मक्खन, फल इत्यादि का सेवन करते हैं इस आहार का सेवन करने से लोगों को योगा में तेज़ी से सहूलियत मिलती है।
इन सभी प्रकार के आहार का सेवन करने के साथ-साथ लोग त्रिफला, नींबू, तुलसी इत्यादि से बने आयुर्वेदिक औषधि का भी प्रयोग करते हैं तथा योग को अपने जीवन में सफल बनाते हैं।
(राहुल कुमार)