विशेषज्ञ ने उठाए सवाल, कोरोना महामारी कहीं भारत पर पॉइंटेड तो नहीं है?
पटना : अगर चीन ने इस महामारी से निपटने के लिए कोई उपाय निकाल लिया है तो वह उसे विश्व के साथ क्यों नहीं बांट रहा है? इसकी प्रबल संभावना है कि कोरोना वायरस के द्वारा चीन अपनी क्षमता और प्रभुता साबित करने में लगा है। कहीं यह महामारी भारत पर पॉइंटेड तो नहीं है? उक्त बातें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में सेंटर फॉर कैनेडियन, यू.एस. और लैटिन अमेरिकन स्टडीज के प्रोफेसर तथा अध्यक्ष प्रो. अरविंद कुमार ने कही है।
“महामारी के उपरांत विश्व में भारत की उभरती भूमिका” विषय पर सोमवार को ए.एन. कॉलेज में 18वाँ एस.एन. सिन्हा स्मृति व्याख्यान का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में सेंटर फॉर कैनेडियन, यू.एस. और लैटिन अमेरिकन स्टडीज के प्रोफेसर तथा अध्यक्ष प्रो. अरविंद कुमार ने कहा कि विश्व राजनैतिक परिदृश्य अत्यंत ही गतिमान रहा है। वैश्विक मंच पर शक्ति के समीकरण नित नए रूप लेते जा रहे है। विगत के दो दशक में यह समीकरण पश्चिम देशों से पूर्व के देशों की तरफ परिवर्तित हो गया है। भारत इस शक्ति परिवर्तन के समीकरण में अपरिहार्य भूमिका में है परंतु भारत को चीन से काफ़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रो. अरविंद में वर्तमान महामारी का उल्लेख करते हुए कहा कि चीन में कोरोना महामारी से पांच हज़ार मौतें हुई हैं और अभी उतने ही एक्टिव केस भी है, जो भारत की किसी भी छोटे राज्य से भी कम है। वक्ता ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि कहीं यह महामारी भारत पर पॉइंटेड तो नहीं है? अगर चीन ने इस महामारी से निपटने के लिए कोई उपाय निकाल लिया है तो वह उसे विश्व के साथ क्यों नहीं बांट रहा है? इसकी प्रबल संभावना है कि कोरोना वायरस के द्वारा चीन अपनी क्षमता और प्रभुता साबित करने में लगा है। चीन अपनी समृद्धि के लिये विश्व की सुरक्षा को दांव पर रखने में भी बाज नही आता है। भविष्य में भारत को चीन से और भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। भारत को विश्व के सामने चीन के सही चरित्र को उजागार करना चाहिए।भारत जो एक वैश्विक भूमिका हेतु प्रयासरत है उसके लिए विश्व के देशों से विस्तारित कूटनैतिक सम्बद्ध स्थापित करना होगा। प्रभावी कूटनीति के लिए हमें एक साथ प्रतिस्पर्धी शक्तियों के साथ सामंजस्य बिठाना होगा।विश्व शांति के लिये भारत और अमेरिका के बीच मजबूत सम्बन्ध आवश्यक है। अमेरिका को भी वैक्सीन जैसे मामलों में भारत को मदद करनी चाहिये।
प्रो. अरविंद ने कहा कि भारत को हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी पहुंच में वृद्धि करनी होगी।कुछ वर्षों में भारत द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र को लेकर किये गए प्रयास इस क्षेत्र के संबंध में भारत की बदलती नीति को प्रदर्शित करते हैं तथा इस क्षेत्र के महत्त्व को भी इंगित करते हैं। भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर अपने कदम आगे बढ़ा रहा है, आवश्यकता है कि भारत का नेट एक्सपोर्ट बढ़े। अंत मे वक्त ने कहा कि भारत एक स्थिति-स्थापक देश है और यह एक उभरती हुई महाशक्ति है जिसकी ओर विश्व आशान्वित नजरों से देख रहा है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. एस.पी.शाही ने अपने स्वागत भाषण में आमंत्रित अतिथियों का अभिवादन करते हुए हार्दिक आभार जताया। उन्होंने महाविद्यालय के क्रियाकलापों और विविध गतिविधियों से सबों को अवगत कराया। प्रो. शाही ने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी सत्येंद्र बाबू की स्मृति में सत्येंद्र नारायण सिन्हा व्याख्यानमाला का आयोजन आरंभ किया गया है, जिसमें देश-विदेश के कई लब्ध प्रतिष्ठित और ख्याति प्राप्त विद्वानों ने अपना व्याख्यान दिया है। अनुग्रह बाबू तथा सत्येंद्र बाबू के आशीर्वाद से ए.एन .कॉलेज लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर है। इसमें महाविद्यालय के सभी शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान है। महाविद्यालय के आइक्यूएसी के प्रयासों से विद्यार्थियों के लिए कई शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
विषय प्रवेश डॉ संजय कुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन एस.एन. सिंहा मेमोरियल लेक्चर की सह-संयोजक डॉ. रत्ना अमृत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एस.एन. सिंहा मेमोरियल लेक्चर के चीफ-कोऑर्डिनेटर प्रो. कलानाथ मिश्र ने किया। इस अवसर पर रूसा के उपाध्यक्ष प्रो. कामेश्वर झा, महाविद्यालय आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डॉ. अरुण कुमार, प्रो. अजय कुमार, डॉ. नूपुर बोस, प्रो. शैलेश कुमार सिंह, प्रो. तृप्ति गंगवार, डॉ. विनोद कुमार झा, डॉ. हंसा गौतम समेत महाविद्यालय के अनेक शिक्षक, विद्यार्थीगण तथा कर्मचारी उपस्थित रहे।