‘वीरांगना तारा रानी श्रीवास्तव’ के मंचन से प्रारंभ हुई नाट्य शृंखला

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पटना : बिहार के विस्मृत स्वतंत्रता सेनानियों पर सामाजिक संस्था संधान नाट्य शृंखला आयोजित कर रही है। बृहस्पतिवार को नाटक वीरांगना तारा रानी श्रीवास्तव के मंचन के साथ यह शृंखला प्रारंभ हुआ। प्रख्यात नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ सुनील सिंह परमार ने  इसका विधिवत उद्घाटन किया।

नाटक के एक दृश्य में संजय सिन्हा और जया अग्रवाल

तारा रानी श्रीवास्तव के किरदार में जया अग्रवाल, फुलेना बाबू के रूप में अभिषेक मलिक, अंग्रेज़ अधिकारी के रूप में कुमुद रंजन लेखु, नटीन के किरदार में पीहू अरोड़ा, दारोगा की भूमिका में उदय सागर के अपने शानदार अभिनय से दृश्यों को जीवंत कर दिया। वहीं, मंच परे रूपसज्जा का काम उदय सागर, वस्त्र विन्यास पीहू अरोड़ा, मंच व्यवस्था जाया और विजय, संगीत सुजीत कुमार उमा व सोहराय कुमार, उद्घोषक संजीव कुमार रहे।

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वरीय रंगकर्मी और इस नाटक के निर्देशक संजय सिन्हा ने बताया कि इस नाटक के माध्यम से मां भारती की साहसी बेटी तारा रानी श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि दी गई है। ब्रिटिश काल के अत्याचारों की पृष्ठभूमि में भारत के वीर सपूतों के बलिदान को मंच के माध्यम से स्मरण करने हेतु यह नाटक साकार हुआ है। उम्मीद है इसे देखकर वर्तमान पीढ़ी उन बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करेगी।

वरीय रंगकर्मी और नाट्य शृंखला के संयोजक रीतेश परमार ने कहा कि आज की पीढ़ी के लोग नहीं जानते कि काकोरी रेल कांड में चेन खींचनेवाले श्यामाचरण भरथुहार औरंगाबाद के रहनेवाले थे। मोकामा स्टेशन पर ही प्रफुल्लचंद चाकी ने आत्मोत्सर्ग किया था। अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहला संघर्ष सारण प्रमंडल के फतेह बहादुर शाही ने ही किया था। ऐसे कई नाम हैं जिनसे लोग भूल चुके हैं। ऐसे स्वनामधन्य स्वतंत्रता सेनानियों के व्यक्तित्व और कृतित्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ‘संधान’ संस्था हर प्रयास करेगी। नाट्य विधा से लोगों का ज्यादा लगाव रहता है। इसलिए इसका प्रारंभ नाट्य शृंखला से किया जा रहा है।

 

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