एस.एन. सिन्हा स्मृति व्याख्यानमाला में बोले एनके सिंह, देश के विकास में स्थानीय स्वशासन की महत्त्वपूर्ण भूमिका
सत्येंद्र नारायण सिन्हा व्याख्यानमाला में देश-विदेश के कई लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों ने अपना व्याख्यान दिया है : प्रो. एस.पी. शाही
पटना : एएन कॉलेज में सोमवार को 17वाँ एसएन सिन्हा स्मृति व्याख्यानमाला का ऑनलाइन आयोजन किया गया। विषय था— स्ट्रेन्थेनिंग थर्ड टियर ऑफ गवर्नमेंट :वे फॉरवर्ड (सरकार के तीसरे स्तर को मजबूत बनाना: आगे बढ़ने का रास्ता)। व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने कहा कि बिहार विभूति स्वर्गीय अनुग्रह नारायण सिंह एवं सत्येन्द्र नारायण सिन्हा (छोटे साहब) के ऐतिहासिक व्यक्तित्व, उनकी दूरदर्शिता , उत्कृष्ट कार्य-प्रणाली तथा समाज और राज्य के नवनिर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
उन्होंने कहा कि देश के समग्र विकास में स्थानीय स्वशासन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यह देश के आम नागरिकों के सबसे करीब होता है और इसलिये यह लोकतंत्र में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने में सक्षम होता है।वर्ष 1993 में भारत सरकार ने शासन के विकेंद्रीकृत मॉडल को अपनाने तथा भागीदारी एवं समावेशन को मज़बूत करने के लिये 73वें और 74वें संविधान संशोधन को पारित किया परंतु चार दशक बाद भी पंचायतीराज संस्थाएं अपने लक्ष्य को पूर्णतः प्राप्त नही कर सकी है। वर्ष 2020- 21 में 15वें वित्त आयोग ने पंचायतीराज संस्थाओं तथा शहरी निकायों के लिए 90 हजार करोड़ की राशि उपलब्ध करवाई है। जिसमें आधी राशि पीने के पानी तथा आधी राशि स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च की जानी है। आजादी के 75 में वर्षगांठ तक स्थानीय स्वशासन को पूर्णतः विकसित करने का लक्ष्य रखा जाना चाहिए।
एनके सिंह ने स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के लिए 6 महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्थानीय स्वशासन के सुदृढ़ीकरण के लिए वित्तीय स्वतंत्रता तथा आत्मनिर्भरता आवश्यक है। स्थानीय स्वशासन के सफल क्रियान्वयन में राज्य सरकारों की भी अहम भूमिका है । राज्य सरकारों के द्वारा स्थानीय स्वशासन के तीन एफ यथा- फंक्शन, फंक्शनरिज तथा फण्ड के क्रियान्वयन में मौलिक परिवर्तन करने की आवश्यकता है। राज्य सरकारों को राज्य वित्त आयोग की स्थापना ससमय करनी चाहिए तथा इसके निर्दिष्ट अनुशंसाओं को अमल में लाना चाहिए। जीएसटी लागू होने के बाद पंचायती राज संस्थाओं द्वारा प्राप्त की जाने वाली कई करें अब समाप्त हो गई हैं, सभी राज्य सरकारों को पंचायती राज संस्थाओं द्वारा लिए जाने वाले इन करों की भरपाई करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में संपत्ति कर का योगदान 0.2% ही है जबकि ओईसीडी ग्रुप के देशों में यह सकल घरेलू उत्पाद का 1.1% है। 15वें वित्त आयोग ने 2020 -21 के वार्षिक प्रतिवेदन में पंचायती राज संस्थाओं के ससमय लेखा और जबाबदेही को महत्वपूर्ण माना है। श्री एनके सिंह ने 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के तौर पर इस मेमोरियल लेक्चर का अंत इस अन्वेषण और उम्मीद के साथ किया कि स्थानीय स्वशासन उपर्युक्त वर्णित सभी 6 सूत्री कार्यक्रमों को सही ढंग से क्रियान्वित कर अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल होगा।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. एसपी शाही ने अपने स्वागत भाषण में आमंत्रित अतिथियों का अभिवादन करते हुए हार्दिक आभार जताया। उन्होंने महाविद्यालय के क्रियाकलापों और विविध गतिविधियों से सबों को अवगत कराया। प्रो. शाही ने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी सत्येंद्र बाबू की स्मृति में सत्येंद्र नारायण सिन्हा व्याख्यानमाला का आयोजन आरंभ किया गया है, जिसमें देश-विदेश के कई लब्धप्रतिष्ठ और ख्याति प्राप्त विद्वानों ने अपना व्याख्यान दिया है। अनुग्रह बाबू तथा सत्येंद्र बाबू के आशीर्वाद से ए.एन. कॉलेज लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर है। इसमें महाविद्यालय के सभी शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान है। महाविद्यालय के आइक्यूएसी के प्रयासों से विद्यार्थियों के लिए कई शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
विषय प्रवेश करते हुए एसएन सिंहा मेमोरियल लेक्चर के चीफ-कोऑर्डिनेटर प्रो. कलानाथ मिश्र ने गांधीजी को उद्धृत करते हुए कहा कि उनका एक सपना था कि भारत पंचायती गणराज्य हो ताकि प्रजातंत्र का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके। कार्यक्रम का संचालन एसएन सिंहा मेमोरियल लेक्चर की सह- संयोजक डॉ. रत्ना अमृत ने किया। धन्यवाद -ज्ञापन महाविद्यालय के आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. अरुण कुमार ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के बरसर प्रो. अजय कुमार, डॉ. नूपुर बोस, प्रोफेसर शैलेश कुमार सिंह, प्रोफेसर तृप्ति गंगवार, डॉ. विनोद कुमार झा, डॉ. हेना तब्बसुम, डॉ. हंसा गौतम समेत महाविद्यालय के अनेक शिक्षक, विद्यार्थीगण तथा कर्मचारी उपस्थित रहे।