पटना : भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं ज्ञान-परम्परा की समृद्धि से जुड़ी बातों को नयी ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में समाहित किया जाना चाहिए। लाॅर्ड मैकाले के सिद्धांतो पर आधारित शिक्षा-नीति से भारत का कल्याण नहीं हो सकता। भारतीय ज्ञान-परम्परा और विचार-प्रवाह से जुड़े रहते हुए विश्व की आधुनिक तकनीकी विकास की प्रक्रिया के सकारात्मक पहलुओं को नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में समाहित करना ज्यादा प्रासंगिक और हितकर होगा।
उपर्युक्त विचार बिहार के महामहिम राज्यपाल सह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति लाल जी टंडन ने महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी तथा भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में पटना एम्स के सभागार में बुधवार को आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप’ पर आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला में देश के 14 राज्यों एवं 28 विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि शिक्षाविद् भाग ले रहे हैं।
कार्यशाला के उद्घाटन-सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बिहार की पावन भूमि में चाणक्य जैसे अर्थशास्त्री, आर्यभट्ट जैसे गणितज्ञ, सुश्रुत जैसे ‘सर्जरी के जनक’, चन्द्रगुप्त जैसे सम्राट हुए, जिन्होंने भारतीय ज्ञान-परम्परा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। राज्यपाल ने कहा कि वेद हमारी भारतीय संस्कृति के प्राण-तत्व हैं। वेदों में ही ‘अणु-परमाणु’ की मूल व ैज्ञानिक परिकल्पना समाहित है। आधुनिक वैज्ञानिक भी प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक ज्ञान-सम्पदा की समृद्धि को स्वीकारते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि भारत विभिन्न धर्मों को समदृष्टि से स्वीकार करते हुए सबके प्रति समादर रखनेवाला एक उदारवादी राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि भारतीय ‘धर्मनिरपेक्षता’ इसी अर्थ में सार्थक है कि यह देश सभी धर्मों को आदर और समानता की दृष्टि से स्वीकारेगा तथा सबकी खूबियों के बल पर मनुष्य के व्यापक कल्याण के पथ पर सतत् आगे बढ़ता रहेगा। श्री टंडन ने कहा कि महान दार्शनिक एंव भारत के पूर्व राष्ट्रपति डाॅ॰ राधाकृष्णन ने अपने ज्ीम भ्पदकन.टपमू व िस्पमि’ नामक ग्रंथ में भारतीय संस्कृति और ज्ञान-परम्पराओं का उल्लेख करते हुए ‘धर्म’ शब्द की विराटता और व्यापकता को विश्लेषित किया है।
राज्यपाल ने महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के प्रारूप पर शिक्षाविदों का सम्मेलन आयोजित कर विश्वविद्यालय ने एक सार्थक प्रयत्न किया है। राज्यपाल ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप की सबसे प्रमुख विशेषता है कि इसमें प्राथमिक स्तर से ही शिक्षण में मातृभाषा को प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
कार्यक्रम में बोलते हुए ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ की प्रारूप-समिति के सदस्य प्रो॰ मजहर आसिफ ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के प्रारूप में भारतीयता की परिव्याप्ति है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा-नीति हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखने में कामयाब रहेगी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रो॰ संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बहुआयामी बनाया जा रहा है। कार्यक्रम में स्वागत-भाषण महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो॰ अनिल कुमार राय ने किया जबकि धन्यवाद-ज्ञापन प्रो॰ के॰ जयाप्रसाद ने किया। इस अवसर पर यू॰जी॰सी॰ के सदस्य प्रो॰ जी॰ गोपाल रेड्डी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, देश के कई शिक्षाविद् , वरीय प्राध्यापकगण आदि भी उपस्थित थे।