पटना : बिहार सरपंच संघ की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आज राजधानी के पंचायत भवन में हुई। इसमें बिहार के सभी जिलों के जिला अध्यक्ष, महासचिव प्रमंडल व अनुमंडल अध्यक्ष व संगठन प्रभारी और प्रदेश के सभी पदाधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में संघ द्वारा कई निर्णय लिए गए और राजनीतिज्ञों द्वारा उनके संघ पर दिए बयानों की घोर निंदा की। कहा कि कोई भी नसीहत देने से पहले उन्हें सोचना चाहिए। बिहार पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने बिहार के उप-मुख्यमंत्री सशील कुमार मोदी के उस बयान की निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि पंचायत प्रतिनिधियों को किसी तरह की सैलरी या सुविधा नहीं लेनी चाहिए। अमोद कुमार ने कहा कि हम सारी सुविधाएं छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन उससे पहले बिहार के सभी विधयाकों, पार्षदों, सांसदों और मंत्रियों को बेतन भत्ता, पेंशन और सुविधा लेना बंद करना चाहिए। निराला ने साफ-साफ कहा कि पंचायत प्रतिनिधि अपमानजनक मानदेय नहीं स्वीकार करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव और एमएलसी के चुनाव में सरपंच, उप-सरपंच एवं पंच को मतदाता बनाया जाए। इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वक्तव्य 13 दिसंबर 2013 को ही आ चुका है। 2016 में बिहार के डीजीपी भी कह चुके हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अभी तक इसका अनुपालन नहीं किया जा सका है। अतः इसको ज़मीनी हकीकत बनाया जाय, इससे हमें बहुत लाभ होगा। ग्राम कचहरी नियमावली 2007 की धारा 90 से 122 का अनुपालन हो। अमोद कुमार ने कहा कि संघ बिहार सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम देता है और यदि इस बीच हमारी 21 सूत्री मांगें नहीं मानी गई तो हमलोग न्याय मार्च निकालकर विधानसभा का घेराव करेंगे।सरकार फिर भी नहीं चेती तो हमारे संघ के सभी प्रतिनिधि अपने परिवार, मित्र और बंधुओ के लोकसभा चुनाव में इनको हराने का काम करेंगे।
मानस द्विवेदी
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