पटना: सामाजिक संस्था ‘संधान’ द्वारा अमर शहीद प्रफुल्लचंद चाकी की पुण्यतिथि पर एक परिचर्चा का आयोजन पटना के राजवंशी नगर में किया गया। वक्ताओं ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से मांग की कि मोकामा रेलवे जंक्शन का नाम बदलकर प्रफुल्लचंद चाकी रेलवे जंक्शन किया जाए। प्रफुल्लचंद चाकी के अभिन्न मित्र खुदीराम बोस के नाम पर पूसा स्टेशन का बदल दिया गया। गोमो स्टेशन का नाम बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्टेशन कर दिया गया। इसी प्रकार मोकामा जंक्शन का नाम भी बदलकर प्रफुल्लचंद चाकी जंक्शन किया जाए।
वक्ताओं ने ऐतिहासिक संदर्भों को उद्धृत करते हुए बताया कि मुजफ्फरपुर में क्रूर जज चैम्सफोर्ड की बग्घी पर बम फेंकने के बाद प्रफुल्लचंद चाकी और खुदीराम बोस वहां से भागे थे। पूसा स्टेशन पर खुदीराम बोस पकड़े गए और उन्हें फांसी दे दी गई। प्रफुल्लचंद चाकी जिस ट्रेन से जा रहे थे, उसे मोकामा जंक्शन पर रोक लिया गया। चाकी को घेरकर चारों ओर से गोलीबारी की गई। चाकी ने बचपन में ही प्रण किया था कि वे अंग्रेजों की गोली से नहीं मरेंगे। मोकामा जंक्शन पर जब उन्हें लगा कि उनका बचना मुश्किल है, तो उन्होंने अपनी पिस्तौल से स्वयं को गोली मार ली। यह घटना 01 मई, 1908 की है। क्रूर अंग्रेजों के कारिंदे अपने साथ चाकी का सिर काटकर कोलकाता ले गए थे। ऐसे अमर शहीद के नाम पर मोकामा रेलवे जंक्शन पर कोई जानकारी नहीं है। कार्यक्रम के संयोजक संजय सिन्हा ने बताया कि अमर बलिदानी चाकी जी के नाम पर मोकामा स्टेशन का नामकरण करने को लेकर पटना के जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया जाएगा।
अतः संस्था ने तय किया है कि प्रफुल्लचंद चाकी के आत्मोत्सर्ग की घटना को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव में यह अत्यंत आवश्यक भी है। कार्यक्रम में पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता रवींद्र कुमार रवि, फिल्मकार रीतेश परमार, सिने विश्लेषक और भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य प्रशांत रंजन, वरिष्ठ रंगकर्मी संजय सिन्हा समेत कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार संजीव कुमार ने किया। इस अवसर पर एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन भी किया गया।