पटना : चिंतक, सृजनधर्मी और विभिन्न अखबारों के संपादक रहे पारसनाथ सिंह की छठी पुण्यतिथि बुधवार को विश्व संवाद केंद्र के सभागार में मनाई गई। वक्ताओं ने उन्हें शब्द शिल्पी और चिंतनशील व्यक्ति बताया।
दूरसंचार विभाग के पूर्व निदेशक गंगाधर प्रसाद सिंह ने कहा कि पारस बाबू भारतीय पत्रकारिता जगत के सजग प्रहरी और कुशल संपादक थे। उन्होंने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, बिहार की पत्रिका का भी कई वर्षों तक संपादन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र कुमार ने कहा कि वह भाषा और विशेषकर वर्तनी पर बहुत ध्यान देते थे उनका मानना था कि बच्चों में भाषा का संस्कार विकसित करने में अखबारों का बड़ा योगदान होता है। वरिष्ठ पत्रकार कुमार दिनेश ने कहा कि पत्रकारों को तैयार करने में पारस बाबू का उल्लेखनीय योगदान रहा है। उनके सिखाए लोग विभिन्न अखबारों में संपादक हुए। वे भाषा का संस्कार विकसित करने के हिमायती थे।
साहित्यसेवी प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि वह नए से नए पत्रकारों को भी पढ़ते थे और सुझाव भी देते थे। 14 अक्टूबर 2015 को उनके देहांत के बाद उनके पुस्तकालय का अवलोकन करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उनका आत्मीय स्वभाव काफी प्रभावित करता था। इस मौके पर उनके पुत्र हिमांशु शेखर ने उनसे जुड़े कई संस्मरणों को साझा किया। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र मिश्र, ज्ञानवर्धन मिश्र और संजीव कुमार ने भी अपने विचार रखे।
इसके अलावा पुनपुन के पास उनके पैतृक गांव पारणपुर में भी पारस बाबू की पुण्यतिथि मनायी गई, जिसमें ग्रामीणों ने पारस बाबू के सहज व्यक्त्वि के बारे में चर्चा की और उन्हें याद किया।