पटना : देश में और बिहार स्तर पर भी किसानों का एक अपना संगठन होना चाहिए जहाँ वो अपने उत्पादन के मूल्य का निर्धारण खुद करें। सरकार कहती है कि किसानों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों को कोई फायदा नहीं होता। इसलिए सरकार को व्यवहारिक योजनाओ को लागू करना चाहिए। राजधानी के आईएमए हॉल में आज लोक सेवा समिति के तत्वावधान में प्रांतीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लोक सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरिजा सतीश ने सम्मेलन में कहा कि भारत मे शुरू से ही किसानों की हालत अच्छी नहीं रही है। भारत के विकास में किसान रीढ़ कि हड्डी हैं और कोई भी समाज या देश किसानों की उपेक्षा करके आगे नहीं बढ़ सकता है। किसानों की हालत से सभी वाकिफ हैं कभी किसानों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है तो कभी उन्हें सुखार का सामना करना पड़ता है। पर्यावरण आजकल कुछ ऐसा हो गया है कि वह कभी अन्नदाता के पक्ष में होता है तो कभी प्रकृति के रौद्र रूप का शिकार भी किसानों को होना पड़ताहै। नतीजा किसान कर्ज़ के बोझ के तले दब जाता है। किसान अपना पैसा लगाकर खेती करते हैं लेकिन अच्छी फसल न हो पाने के चलते उन्हें आत्महत्या करना पड़ता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश में सबसे ज्यादा रोज़गार कृषि क्षेत्र में ही है। सरकार यदि कृषि क्षेत्र को बढ़ाबा दे तो देश मे क्रांति आ सकती है।
लोक सेवा समिति के जिला सचिव श्री राम सिंह ने कहा कि सिंचाई की उचित व्यवस्था न हो पाना भी किसानों के दुर्दशा का एक कारण है। सरकार को चाहिए कि बोरिंग बनाकर, बिजली पहुँचाकर किसानों को सिंचाई की उचित व्यवस्था करनी चाहिए।श्री राम सिंह ने ये भी कहा किसानों को लोन मिलना चाहिए, उनको मुआवज़ा मिलनी चाहिए।
वहीं लोक सेवा समिति के प्रांतीय अध्यक्ष विजय सिंह ने कहा कि आज हम सवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं। आज का सम्मेलन आगे की योजना बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। देश मे कोई वैज्ञानिक चावल और दाल नहीं उगा सकता है। ये होगा किसानों के द्वारा और खेत मे ही इसे पैदा किया जा सकता है।
(मानस दुबे)
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