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प्रधानमंत्री नहीं होते, तो गुणी साहित्यकार होते नेहरू

पटना दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख सुवीर वर्मा को लेख्य-मंजूषा की तरफ से “साहित्य में मीडिया का योगदान” के लिए सम्मानित किया गया

पटना : “बच्चों के लिए साहित्य लिखना बहुत मुश्किल होता है। बाल साहित्य के लिए हम साहित्यकारों को खुद बच्चा बनना होगा। बिना बाल मनोविज्ञान समझें हम कभी भी बाल-साहित्य नहीं लिख सकते हैं।” उक्त बातें रविवार को भगवती प्रसाद द्विवेदी ने लेख्य-मंजूषा के कार्यक्रम ‘बाल दिवस के उपलक्ष्य में काव्योत्सव’ में कहीं। उन्होंने बाल दिवस के उपलक्ष्य में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के बारे में कहा कि अगर जवाहर जी प्रधानमंत्री नहीं होते, तो वे एक गुणी साहित्यकार होते। उन्होंने अपने कार्यकाल में साहित्य अकादमी, नेशनल बुक ट्रस्ट, चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट इत्यादि की स्थापना करवाए थे।

कार्यक्रम में उपस्थित पटना दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख सुवीर वर्मा ने कहा कि अपने अंदर के बच्चे को हमेशा ज़िंदा रखिए, क्योंकि बच्चों के अंदर कभी भी कोई द्वेष भावना नहीं रहती है। समाज का प्रबुद्ध वर्ग साहित्यकार का होता है। समाज के हर वर्ग को दिशा दिखाने का कार्य साहित्यकारों का होता है, यह कार्य भी समाजसेवा ही है। दूरदर्शन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि दूरदर्शन ने हमेशा से साहित्य और संस्कृति को बचाने का कार्य किया है। दूरदर्शन की तरफ से यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा।

लेख्य-मंजूषा के उपसचिव अभिलाष दत्ता ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के बाद सुवीर वर्मा को लेख्य-मंजूषा की तरफ से “साहित्य में मीडिया का योगदान” के लिए सम्मानित किया गया। संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने सुविर वर्मा जी को अंगवस्त्र और सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसके बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को यादकर सभी अतिथियों को गुलाब का फूल देकर सम्मानित किया गया।

पटना दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख सुवीर वर्मा को सम्मानित करतीं संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव

कार्यक्रम में उपस्थित शंभु पी. सिंह ने लेख्य मंजूषा को बधाई देते हुए कहा कि लेख्य-मंजूषा पहली ऐसी संस्था है, जो दूरदर्शन को साहित्य में मीडिया का योगदान के लिए सम्मानित की है। सन् 1959 में दूरदर्शन की शुरूआत में सिर्फ तीन कार्यक्रम प्रस्तुत होते थे। उसमें तीसरा कार्यक्रम साहित्य के लिए समर्पित था। दूरदर्शन अपने जन्म से साहित्य के लिए कार्य करता रहा है।

कार्यक्रम में उपस्थित बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका व प्रसिद्ध कवियत्री नीतू कुमारी नवगीत ने अपनी एक कविता पढ़ने के बाद मैथिली लोकगीत “राजा जनक के दरबार में अलबेला रघुवर आयो रे” गाकर समा बांध दिया।

मंच संचालन संस्था के सचिव रवि श्रीवास्तव ने किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रब्बान अली ने किया।
कार्यक्रम में मो.नसीम अख्तर, एकता कुमारी, पूनम कतरियार आदि की सहभागिता गरिमामय रही।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार उषा सिंह, एम.के. मधु, वरिष्ठ साहित्यकार आलोक धनवा, नरेंद्र सिन्हा, अमलेंदु अस्थाना आदि सुधिजन उपस्थित थे।