पटना : सोशल मीडिया की बढ़ती सक्रियता के दौर में सूचनाएं तो जेती से फैल रही हैं, लेकिन उनकी विश्चसनीयता पर सवाल खड़ा हो रहा है। मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाओं के बारे में सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करना भी शर्मनाक कृत्य के दायरे में है। उक्त बातें बिहार सरकार के सूचना व जनसंपर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार ने शुक्रवार को हीं। वे यूनीसेफ, पीआईबी व आईपीआरडी के तत्ववधान में आयोजित विश्व बाल दिवस पर कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। विषय था— ‘हक बच्चों का, साथ मीडिया का’।
मंत्री ने कहा कि पीड़ित बच्चे की तस्वीर शेयर करना या उसकी पहचान उजागर करने को कुछ लोग बहादुरी समझते हैं।अपनी बौद्धिक जानकारी का बेजा इस्तेमाल करने वालों को पता होना चाहिए कि ऐसे कृत्योे को रोकने के लिए पोक्सो एक्ट है। विकास के साथ सामाजिक जकड़न को ठीक करने के दिशा में भी राज्य सरकार प्रयासरत है।
विश्व बाल दिवस पर यूनीसेफ के कार्यक्रम की सराहनास करते हुए मंत्री ने कहा कि इस आयोजन का फीडबैक सराकार के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। सरकार अपने कुल बजट का 12 प्रतिशत बच्चों के लिए खर्च कर रही है।
दूरदर्शन केंद्र पटना के सहायक निदेशक संजय ने कहा कि तस्वीर बदलने के लिए मीडिया के उच्च स्तर पर बैठे लोगों से बातें करनी होगी, ताकि बच्चों से जुड़ी खबरों का पर्याप्त जगह मिल पाए।
पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने समेकित प्रयास प बल देते हुए धरातल पर काम करने की नसीहत दी और कहा कि तंत्र को सही जाए, तो उपलब्ध संसाधनों में ही तस्वीर बदली जा सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय देव ने कहा कि मीडिया में पेशागत चुनौतियां हैं और डिजिटाजेशन के दौर में यह बढ़ीं हैं। आईआरएस के सर्वे में 59 प्रतिशत बच्चे अखबार नहीं पढ़ते हैं, वहीं मात्र 8 प्रतिशत खबरों में बच्चों से जुड़ी सामग्री होती है।
इस अवसर पर उपस्थित पत्रकारों व मीडिया शिक्षण के विशेषज्ञों द्वारा रिपोर्ट अध्ययन और उसका प्रस्तुतीकरण भी हुआ। इस अवसर पर पटना विवि के डॉ. गौतम कुमार, मो. मुदस्सीर सिद्दीकी, डॉ. सुभाष कृष्ण, एमिटी विवि डॉ. श्वेता प्रिया, जूनी, रेडियो सिटी से आरजे बरखा, रेडियो मिर्ची से आरजे शशि आदि उपस्थित थे। इनको प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।