पश्चिमी देशों के बाद अब भारत में भी तेजी से लिव—इन रिलेशनशिप का प्रचलन बढ़ा है। लेकिन, भारतीय समाज लिव—इन रिलेशनशिप को लेकर आज भी असमंजस एवं असहजता की स्थिति में है। इसी बीच सरकारी संस्था ने लिव—इन रिलेशनशिप को लेकर विचित्र बयान दिया है।
राजस्थान मानवाधिकार आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति प्रकाश टांटिया और आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति महेंद्र शर्मा ने एक मामले की सुनवाई के दौरान लिव—इन रिलेशनशिप को सोशल टेररिज्म करार देते हुए कहा कि यह व्यवस्था महिलाओं के उस सम्मान व अधिकार के खिलाफ है, जो भारतीय संविधान ने महिलाओं के लिए स्थापित किया है। अपना वक्तव्य देते हुए हुए न्यायधीशों की खंडपीठ ने लिव—इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को रखैल तक कह डाला। साथ ही आयोग ने कहा कि लिव—इन रिलेशनशिप में रहना पशु के समान है, इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए।