लेख्य मंजूषा: ‘पान का दाम’ का प्रदर्शन, पत्रिका साहित्यक स्पंदन व पुस्तक ‘भाग लें…’ का विमोचन

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पटना: साहित्यक संस्था लेख्य-मंजूषा के छठे वार्षिकोत्सव और आठरवें हाइकु दिवस के उपलक्ष्य पर आर ब्लॉक, इंजीनियर्स भवन के सभागार में रविवार को समारोह आयोजित किया गया। स्वागत भाषण संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर लेख्य मंजूषा की त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्यक-स्पंदन’ के नए अंक का लोकार्पण किया गया। संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव और संस्था व पटना की वरिष्ठ साहित्यकार कल्याणी कुसुम दुबे जी के संयुक्त संपादन में चयनित महिला लगुकथाकारों की पुस्तक ‘भाग लें…!’ का भी विमोचन किया गया। इसके अलावा लेख्य-मंजूषा द्वारा निर्मित लघु चलचित्र ‘पान का दाम’ का प्रदर्शन किया गया। पुस्तक ‘भाग लें…!’ पर अपना उद्बोधन प्रकट करते हुए कल्याणी कुसम दुबे ने स्व. डॉ. सतीशराज पुष्करणा जी को नम आंखों से याद करते हुए कहा कि इस पुस्तक के प्रेरणास्रोत आदरणीय डॉ सतीशराज पुष्करणा थे। वे चाहते थे एक लघुकथा की पुस्तक ऐसी बने जिसमें सिर्फ महिला नावलेखकों को स्थान प्राप्त हो।

पुस्तक के अनोखे नाम के बारे में बताते हुए कल्याणी जी ने बताया कि इस पुस्तक में रचना भेज कर उन महिलाओं ने इसमें भाग लिया और जिन्होंने इस चुनौती से मुँह फेरा वह इससे भाग लिया। वह विभा रानी श्रीवास्तव जी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनकी मदद के बिना यह पुस्तक कभी नहीं आ पाती। अथिति पूनम आनंद ने लेख्य मंजूषा के छह वर्ष पूर्ण होने पर बधाई दिया। उन्होंने अपने व्यक्तव्य में कहा कि जिसके पास धैर्य है वही साहित्य सृजन कर सकता है। साहित्य के दुनिया में लेख्य मंजूषा रोज़ नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। जयप्रकाश विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष व विदूषी लेखिका प्रो. (डॉ.) अनीता राकेश ने लेख्य मंजूषा को बधाई देते हुए कहा कि साहित्य के सभी विद्याओं को आगे बढ़ाने का कार्य लेख्य मंजूषा कर रही है। फ़िल्म ‘पान का दाम’ के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा निर्मित फिल्मों की संख्या बेशक कम हो लेकिन सभी फिल्में गुणवत्तापूर्ण है। संस्था को अपनी फिल्मों का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार कर के अधिक दर्शकों तक पहुंचाने का कार्य करें। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. ध्रुव कुमार ने फ़िल्म में काम करने वाले पूरे टीम को बधाई देते हुए कहा कि बड़े पर्दे पर अपने लोगों को देखना सुखद होता है। लेख्य मंजूषा अब साहित्यकारों के साथ साथ फिल्मकारों की भी फौज तैयार कर रही है।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय भगवती प्रसाद द्विवेदी ने संस्था के छह वर्ष पूर्ण होने पर सबको बधाई दिये। उन्होंने अपने उद्बोधन में लेख्य मंजूषा के क्रियाशीलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्था द्वारा प्रेषित रचनाओं में विविधता रहती है। उन्होंने दूसरे संस्थाओं का जिक्र करते हुए कहा कि कई संस्थाएं आती है कुछ सालों बाद गुम हो जाती है। लेकिन लेख्य मंजूषा अपनी निरंतरता को कायम रखे हुई है। लेख्य मंजूषा अब साहित्य के अलावा फिल्मों के माध्यम से समाज को दिशा दिखाने का कार्य कर रही है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में संस्था द्वारा आयोजित अंताक्षरी प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। इस सत्र में दोबारा फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर पटना की नाट्य संस्था ‘प्रांगण’ के कई सदस्य उपस्थित थे।

प्रांगण संस्था के संयोजक व इस वर्ष के संगीत अकादमी विजेता व अभिनेता नीलेश्वर मिश्रा ने फ़िल्म में कार्य करने वाले सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि इस चलचित्र में कार्य करने वाला एक भी व्यक्ति पूर्णकालीन अभिनेता नहीं है। लेकिन वे सभी अपने संवादों को बेहतरीन ढंग से कैमरे के सामने प्रस्तुत किये हैं। कैमरे के सामने बोलने से अच्छे—अच्छे लोग घबराते हैं। लेकिन, सभी पात्रों ने बिना डरे बेहतर तरीके से अपने संवाद को संप्रेषित किया है। फ़िल्म की एडिटिंग भी बहुत सुंदर है।

इस सत्र में संस्था के सदस्यों द्वारा हाइकु, लघुकथा, ग़ज़ल इत्यादि प्रस्तुत किए। आज के कार्यक्रम का संचालन लेख्य-मंजूषा के उपाध्यक्ष व प्रांगण संस्था के अध्यक्ष मधुरेश नारागन जी ने किया। ज्ञातव्य रहे फ़िल्म ‘पान का दाम’ में वह मुख्य भूमिका में है। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन संस्था के सचिव रवि श्रीवास्तव जी ने किया। उन्होंने फिल्म के बारे में बताया कि यह फ़िल्म जल्द ही यूट्यूब पर उपलब्ध करा दी जाएगी। इस अवसर पर लेख्य—मंजूषा के उप-सचिव व मीडिया प्रभारी अभिलाष दत्ता समेत कई साहित्यकार, साहित्यप्रमी, विद्यार्थी उपस्थित थे।

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