पटना : अक्षय नवमी कार्तिक महीने की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी या आवंला नवमी भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि आवंला के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। सनातन धर्म में इस दिन का खास महत्व है। अक्षय नवमी के दिन आवंला के पेड़ की पूजा की जाती है और आवंले का भोग भगवान को अर्पित करके प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण भी किया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में अनिवार्य रूप से तुलसी जी के पत्ते का प्रयोग किया जाता है और बगैर तुलसी के पूजा अधूरी मानी जाती है।
महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा की
बिना तुलसी के लगाए गए भोग को भगवान ग्रहण नहीं करते हैं। अक्षय नवमी के दिन आवंला और आवंले के पत्ते से पूजा की जाती है। इस दिन स्नान, दान और पूजा किया जाता है। गुप्त दान का सबसे ज्यादा महत्व होता है। भतुआ का भी दान किया जाता है। महिलाएं पीपल के पेड़ में सुत का धागा भी बांधती हैं। अक्षय नवमी के दिन आवंले के पेड़ के नीचे भोजन बनाया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। फिर श्रद्धालु स्वयं भी प्रसाद को खाते हैं।
(मानस दुबे)