पटना : योग से हमें स्वास्थ्य लाभ मिलता है, योग का यह एक फायदा है। सामान्य शब्दों में हमें योग को समझना है तो हम कहेंगे योग मतलब संतुलन। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन। योग करते—करते जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन आ जाय तो सही अर्थों में आपने योग को अपना लिया है। पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में बिहार इन्डस्ट्री एसोसिएशन के प्लेटिनम जुबली समारोह में ये बातें मुंगेर योग विद्यालय के स्वामी निरंजनानंद ने कही। उन्होंने बताया कि योग दो तरह के होते हैं। पहला साधुओं—संन्यासियों के लिए और दूसरा समाज के लिए। योगी स्वास्थ लाभ के लिए योग न करके अपने को जानने के लिए करता है। जो योग संन्यासियों के लिए है वो समाज के लिए नहीं है। अतः आज हम समाज के काम आनेवाले योग की बात करेंगे।
योग के लाभ व्यापक हैं। योग करने से पूरा देश, समाज और दुनिया को लाभ होगा। योग करने से पूरे शरीर का रक्त संचार अच्छा हो जाता है। शरीर के हर सेल्स ऊर्जावान और सक्रिय हो जाते हैं। जरूरी नहीं कि कठिन योग करें। सहज एवं सरल योग और अनुशासित जीवन से भी हम बहुत लाभान्वित हो सकते हैं।स्वामी जी ने बताया कि जापान में विभिन्न औद्योगिक छेत्रों में काम करने से पहले 20 मिनट तक ध्यान करवाया जाने लगा है। कालांतर में पता चला कि उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ गई है। फिर इसी थ्योरी को विश्व के कई देशों में लागू किया गया। भारत में भी एकाध जगह शुरू किया गया।बाद में आंकड़ा आया कि कर्मचारियों की स्टेमिना बढ़ गयी है। जो लोग बीमारी की छुट्टी लिया करते थे, उसमें गिरावट आने लगी। पहले जो लोग तनाव में रहते थे, 40 प्रतिशत तक वे स्वस्थ रहने लगे। फिर तो पाश्चात्य देशों में इस प्रयोग को काफी किया जाने लगा। भारत में भी कई सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्ठानों ने योग के कार्यक्रम को अपने इंडस्ट्रियल रूटीन में शामिल कर लिया। आज ओएनजीसी, भेल, आईओसी जैसे प्रतिष्ठानों ने योग को सुचारू रूप से अपना लिया है। बीमारी और तनाव पर 70000 रुपए खर्च होते थे, वहीं अब यह घटकर महज 5000 रुपये रह गया है। स्वामी जी के उदभोदन के पहले स्किल फाउंडेशन के बच्चों द्वारा गीता के विभिन्न श्लोक और हनुमान चालीसा पर नृत्य और सूर्य नमस्कार पेश किया गया। बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट रमेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि हमारी संस्था का यह प्लेटिनम जुबली वर्ष चल रहा है और हमने कई कार्यक्रम करवाए हैं। उसी क्रम में स्वामी जी का आज का कार्यक्रम रखा गया है।
बिहार में योग से औधोगिक क्रांति भी संभव
स्वामीजी ने एक व्यवहारिक पद्धति के तौर पर योग को उधोग बढाने का जरिया भी बताया। सेल, भेल, ओएनजीसी जैसे सरकारी उपक्रमों द्वारा योग को इतना महत्व दिया जाना इस बात को प्रमाणित करता है। योग कर्म को सफल बनाने में कारक की भूमिका निभाता है। सेवा, प्रेम और दान कर्म के ही अंग हैं। परिवार से ज्यादा की सोच रखना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है। उदारचरितानां वसुधैवकुटुम्बकम। अर्थात चरित्रवान व्यक्ति के लिए पूरा संसार ही परिवार के समान है। स्वामीजी ने कहा कि बिहार में योग का एकम़ात्र आश्रम मुंगेर में बिहार योग विधालय के नाम से है। इसकी स्थापना 1963 में की गई थी। 2013 में इसकी स्वर्ण जयंती पर योग—गोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसमें देश के 22 राज्यों के योग प्रशिक्षुओं ने योग का प्रचार—प्रसार और संचार किया।
मानस दुबे/सत्यम दुबे