पटना : जाने-माने समालोचक, मार्क्सवादी चिंतक डॉ. खगेंद्र ठाकुर का सोमवार को निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे। उन्हें लंबे समय से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
पटना एम्स में सोमवार को 11:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सुनकर पटना के साहित्य जगत के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। साहित्यिक पत्रकारिता के जाने-माने हस्ताक्षर प्रमोद कुमार सिंह ने डॉ. ठाकुर के निधन समालोचना जगत के लिए बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. ठाकुर लंबे समय तक प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) से जुड़े रहे।
झारखंड के दुमका जिले के मोहिनी—कोड्डा गांव में 1937 को जन्म लेने वाले डॉ. खगेंद्र ठाकुर ने समकालीन साहित्य के साथ-साथ आधुनिक काल के साहित्य पर खूब लिखा। मुख्य रूप से वे आलोचना, कविता और व्यंग विधा में लिखते थे। कहानी परंपरा और प्रगति, रामधारी सिंह दिनकर: व्यक्तित्व और कृतित्व, आलोचना के बहाने, कविता का वर्तमान आदि उनकी आलोचनात्मक कृतियां हैं। डॉ. ठाकुर ने ‘धार एक व्याकुल’ और ‘रक्त कमल परती पर’ जैसे कविता संग्रह की रचना की। व्यंग्य विधा के भी धनी डॉ. ठाकुर ने ‘देह धरे को दंड’, ‘ईश्वर से भेंटवार्ता’ जैसे कई व्यंग संग्रह लिखे।