*स्वास्थ्य विभाग ने एंटी फाइलेरिया ड्राइव की शुरुआत की
*2.23 करोड़ लोगों को पिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा
पटनाः बिहार में फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग ने एंटी फाइलेरिया ड्राइव की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत करीब दो करोड़ 22 लाख 85 हजार 279 लोगों को सामूहिक रूप से फाइलेरिया रोधी दवा पिलाई जाएगी।
गौरतलब है कि फाइलेरिया, बिहार में प्रमुख बीमारियों में से एक है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े लोग हैं। लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (एलएफ), जिसे आमतौर पर एलीफेंटियासिस के रूप में जाना जाता है, एक विकृत और मानव को अक्षम बना देने वाली बीमारी है। यह आमतौर पर बचपन में होने वाली बीमारी है। हालांकि, शुरुआती दौर में या तो इसके लक्षण नहीं दिखते या इतने मामूली लक्षण होते हैं, जिन्हें पहचान पाना काफी मुश्किल होता है।
2021 में, देश में 5,25,440 लिम्फेडेमा की सूचना मिली थी। इनमें सबसे ज्यादा संख्या में मरीज बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना से थे। इस वर्ष में कोविड -19 के कारण, दवा वितरण सहित सभी गतिविधियों पर उस तरह से ध्यान नहीं दिया जा सका, जिस तरह से दिया जाना चाहिए। इस दौरान कोविड टीकाकरण को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी गई। 2021 के अंत तक, 134 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) आयोजित किए गए थे। 43 जिलों में परंपरागत रूप से ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे (टीएएस) आयोजित किए गए। इसके बाद, 2022 में 133 में एमडीए और 110 जिलों में टीएएस की योजना बनाई गई है। लिम्फैटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शहरी इलाकों में जोखिम वाली आबादी तक पहुंचना मुख्य प्राथमिकता है। शहरी परिवेश में भी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुख्य घटक ग्रामीण क्षेत्रों की तरह ही होते हैं। शहरी क्षेत्र के विविध आबादी तक पहुंचने के लिए विशेष रूप से लक्षित हस्तक्षेपों की जरूरत होती है। पहले भी शहरी स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के आंकड़ों का उपयोग पूरे क्षेत्र की वार्ड के मुताबिक मैपिंग के लिए किया गया था।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राज्य सरकार ने हाल ही में एंटी फाइलेरिया ड्राइव शुरू की है। यह नवादा, समस्तीपुर, रोहतास, लखीसराय और नालंदा सहित लगभग पांच जिलों में चल रही है। इस अभियान के तहत करीब 2 करोड़ 22 लाख 85 हजार 279 लोगों को सामूहिक रूप से फाइलेरिया रोधी दवा पिलाई जाएगी। दरअसल, मानसून के आने के साथ ही बैक्टीरिया और वायरल बीमारियों के फैलने की संभावना भी बढ़ गई है और साथ ही इस मौसम में मच्छर भी बढ़ जाते हैं, जो इसके लिए वैक्टर का काम करते हैं। इसलिए, तेजी से दवा वितरण किया जा रहा है।
(स्वाति)