गर्ल्स हॉस्टल : मुट्ठी भर सुविधा, आसमां भर चुनौतियां

0
a small room of a girls hostel in Patna

सपनों को साकार करने और सरकारी नौकरियों के चाहत रखने वाले छात्र-छात्रों के लिए पटना एक हब बन गया है। खास कर राजधानी के कॉलेज समेत अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाना एक बड़ी समस्या है। बेहतर शिक्षा पाने की लालसा लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए छात्र-छात्राओं के लिए यहाँ बने रहना एक चुनौती पूर्ण कार्य हो गया है। खासकर, छात्राओं के लिए हॉस्टल की बेहतर व्यवस्था करना किसी चुनौती से कम नहीं है। यदि कॉलेज के हॉस्टल्स मिल जाए, तो अच्छा है। पर, जिन छात्राओं को बाहरी हॉस्टल का चयन करना होता है उन्हें कई समस्याएं होती है। घर से दूर आए छात्राओं के लिए नए माहौल में खुद को ढालना, हॉस्टल के नियमों और व्यवस्थाओं को समझना, रूममेट से बेहतर रिश्ते जैसी चुनौतियों होती हैं। ऐसे में हॉस्टल का चयन जाँच-परख कर करना ही ठीक रहता है।

होना तो ये चाहिए…

राजधानी में पिछलें दिनों छात्राओं के साथ हुई घटनाओं को ध्यान में रखते हुए शासन और प्रशासन ने गर्ल्स हॉस्टल के लिए कुछ मानक तय किए हैं। जैसे सभी गर्ल्स हॉस्टलों के द्वार पर इंट्री रजिस्टर रखना अनिवार्य है, कम से कम 15 दिनों की रिकॉर्डिंग रखने वाला उच्च गुणवत्ता वाला CCTV कैमरा, इसके अतिरिक्त हॉस्टल संचालक वार्डन समेत सभी कर्मियों का पुलिस सत्यापन होना अनिवार्य है। इसके इसके आलावा शुद्ध पानी, साफ शौचालय, ड्रेनेज की बेहतर व्यवस्था और छोटे गर्ल्स हॉस्टल्स में एक महिला प्रबंधक और बड़े गर्ल्स हॉस्टल्स में दो महिला प्रबंधक, हॉस्टल के गेट पर दक्ष सुरक्षा गार्ड, छात्राओं के लिए शिकायत पेटी, सभी हॉस्टलों में डिस्प्ले बोर्ड पर स्थानीय थाना, महिला हेल्प लाइन, पुलिस नियंत्रण कक्ष के साथ छात्रावास अधीक्षक और वार्डन नंबर अंकित करना और परिजनों के लिए गेस्ट रूम, साथ मिलने आए परिजनों का नाम रजिस्टर में दर्ज होना चाहिए। छात्राओं के लिए प्राथमिक उपचार की व्यवस्था और फायर अलार्म की भी अनिवार्य शर्त में शामिल है।

swatva

CCTV के भरोसे सुरक्षा

आज अगर लड़कियों के लिए कुछ जरुरी है तो वो है सुरक्षा। राजधानी के छात्रावासों में ये सुविधाएं देखने को मिलती है,पर कुछ हॉस्टल ऐसे है। जहां पर सुरक्षा के नाम पर एक गार्ड है या फिर CCTV के भरोसे सुरक्षा को रखा गया है। अगर अचानक आग सम्बन्धी कोई घटना होती है तो इनको फायर अलार्म से अधिक बालू पर भरोसा है।
जब इस विषय में लड़कियों से बात हुई तो उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं है। वह कहती है सब ठीक है चिंता की कोई विषय नहीं है।

खान-पान

आमतौर पर हॉस्टलों के खान-पान का अलग मीनूकार्ड होता है। इस विषय में हॉस्टल की लड़कियों से बात हुई तो उनलोगों ने बताया कि घर जैसा खाना तो नहीं मिलता है। पर खराब भी नहीं मिलता है, खाने से कोई शिकायत नहीं है। और रही पानी की बात तो इसकी भी व्यवस्था अच्छी है,पर बहुत अच्छा नहीं कहां जा सकता है।

गेस्ट के एक्स्ट्रा पैसा

हॉस्टलों में गेस्ट रूम की व्यवस्था अनिवार्य है। पर राजधानी के कुछ ऐसे भी गर्ल्स हॉस्टल है। जहां पर ऑफिस या बरामदे में ही मिलने की व्यवस्था की गई है। अगर माँ मिलने के लिए आई और किसी कारण वस रुकना हुआ, तो हॉस्टल के मालक अलग से पैसे वसूल करते हैं।

गर्ल्स हॉस्टल में डिस्प्ले बोर्ड!

सभी हॉस्टलों में डिस्प्ले बोर्ड अनिवार्य है। पर यह बहुत ही कम हॉस्टलों में देखने को मिला लेकिन बड़ी बात यह है की हॉस्टल में रह रही लड़कियों को इससे कोई आपत्ति नहीं है। नहीं कोई शिकायत है।

उपचार की खानापूर्ति

गर्ल्स हॉस्टलों में प्रथिमिक उपचार के नाम पर कोरम पूरा किया गया है। कोई लड़की बीमार पड़ती है,तो वह या तो सहेलियों के मदद से हॉस्पिटल जाती है या फिर माँ पिता जी को बुलाना पड़ता है।
ऐसे में जब इस पर पड़ताल किया गया। हॉस्टल में रही लड़कियों की जुबानी गर्ल्स हॉस्टल स्थिति क्या है। यह देखने को मिली

कुछ खट्टा, कुछ मीठा…

अशोक राजपथ स्थित गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों से बात हुई। नाम न बताने के शर्त पर लड़कियों का कहना है कि हॉस्टल की स्थिति बहुत बहुत ही खराब है। आज के समय में लड़कियों के लिए सुरक्षा बहुत जरुरी हो गया है। सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अगर कोई लड़की बीमार पड़ती है, तो वह या तो सहेलियों के मदद से हॉस्पिटल जाती है या फिर माँ पिता जी को बुलाना पड़ता है। वहीं बगल हॉस्टल में रह रही सीमा हँसती है और बताती है कि हमारे हॉस्टल के चार्ज थोड़ा ज्यादा है। पर, हर तरह की सुविधा मिलती है। मेनुकार्ड के अनुसार खाना, शुद्ध पानी मिलता है। जब कोई भी लड़की बीमार पड़ती है, तो हॉस्टल के मालिक खुद हॉस्पिटल ले जाते है। हॉस्टल के कॉमन एरिया में CCTV की व्यवस्था है। इंट्री रजिस्टर के साथ 24 घंटा गार्ड गेट पर रहता है। सबसे बड़ी बात तो यह है की अगर किसी जरुरी काम से माँ को रुकना पड़े, तो इसके लिए अलग से पैसे देना नहीं पड़ता है। गेस्ट रूम की भी व्ययवस्था है। जहां हम अपने माँ-पिताजी या फिर किसी भी रिश्तदार से मिल सकते है।
(वंदना कुमारी)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here